
लखनऊ: महाराष्ट्र के पुणे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने देश में मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो जाने के बाद कुछ लोगों को यह लगने लगा है कि वे ऐसे विवादों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। पुणे में आयोजित सहजीवन व्याख्यानमाला में ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर अपने विचार रखते हुए भागवत ने सद्भावना और एकता की बात की। उनके द्वारा दिए गए विचारों को उत्तर प्रदेश के संभल की जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद, बदायूं जामा मस्जिद-नीलकंठ महादेव मंदिर विवाद और जौनपुर की अटाला मस्जिद-अटला देवी मंदिर विवाद से जोड़ा जा रहा है। इस पर चर्चाएं हो रही हैं कि क्या संघ प्रमुख ने इशारों-इशारों में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कोई नसीहत दी है?
दरअसल, इन तीनों स्थानों पर मंदिर होने का दावा किया गया है और संबंधित मामले अदालतों तक पहुंच चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद देशभर में इसी तरह के मामलों की तेजी से बढ़ती संख्या पर संज्ञान लिया और निर्देश जारी किया कि किसी नए मामले को अदालत में दाखिल नहीं किया जाएगा। जो मामले पहले से चल रहे हैं, उनमें भी किसी प्रकार का सर्वेक्षण या अन्य कोई नया आदेश जारी नहीं किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के संभल विवाद को लेकर प्रदेश विधानसभा से लेकर लोकसभा तक जमकर हंगामा मचा हुआ है। इस मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि संभल में मस्जिद के सर्वे के दौरान जय श्रीराम के नारे लगाए गए, जिसके कारण तनाव बढ़ा और हिंसा भड़क गई, जिससे कई युवकों की जान चली गई। इस पूरे घटनाक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान दिया गया जवाब काफी सुर्खियों में है
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में लोग सामान्य तौर पर एक-दूसरे को राम-राम कहते हैं, तो जय श्रीराम को साम्प्रदायिक कैसे माना जा सकता है? उन्होंने स्पष्ट किया कि यहां लोग जब मिलते हैं तो राम-राम बोलते हैं, और अगर किसी ने जय श्रीराम बोला, तो इसमें नीयत पर सवाल नहीं उठाए जाने चाहिए, यह चिढ़ाने वाला नहीं होता। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पुराणों में उल्लेख है कि भगवान विष्णु का दसवां अवतार संभल में होगा।
संभल हिंसा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वहां लगातार सर्वे का काम चल रहा था और पहले दो दिनों तक शांति बनी रही। लेकिन 23 नवंबर को जुमे की नमाज के पहले और बाद में दी गई तकरीरों के कारण माहौल बिगड़ा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि हम एक न्यायिक आयोग बनाएंगे, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी सबके सामने आ जाएगा।
इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की जीत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वहां के लोगों को अपनी जड़ें याद आ गईं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस दिन संभल के सपा विधायक इकबाल महबूब को अपनी जड़ें याद आएंगी, वह वहां विरोध करना बंद कर देंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान सामने आया है, जिसे यूपी के हालात से जोड़ा जा रहा है। मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के बाद, कुछ लोगों को यह भ्रम हो गया है कि वे नई जगहों पर ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। यह व्यवहार स्वीकार्य नहीं है।
मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण सभी हिंदुओं के लिए आस्था का विषय था, लेकिन अब हर दिन नए मुद्दे उठाए जा रहे हैं। ऐसे मामलों की अनुमति कैसे दी जा सकती है? देश को यह दिखाने की आवश्यकता है कि हम सभी मिलकर शांति से रह सकते हैं। हाल के दिनों में मंदिरों के स्थान का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की कई मांगें अदालतों तक पहुंच चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए हैं और वे चाहते हैं कि पुराना शासन लौटे। लेकिन अब देश संविधान के अनुसार चलता है। इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं। अब अधिपत्य के दिन समाप्त हो चुके हैं।
भागवत ने स्पष्ट कहा कि अगर सभी खुद को भारतीय मानते हैं, तो वर्चस्व की भाषा क्यों इस्तेमाल की जा रही है? आरएसएस प्रमुख ने सवाल उठाया कि कौन अल्पसंख्यक है और कौन बहुसंख्यक? इस देश में सभी समान हैं। हमारी परंपरा है कि हर कोई अपनी पूजा पद्धति का पालन कर सकता है। हमें सिर्फ सद्भावना से रहकर नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिए।