Friday, September 12, 2025
No menu items!
HomeReligion NewsMahakumbh NewsMahakumbh Mela 2025: उच्च योग्यताधारी महिलाएं संन्यास की ओर, दुनिया से मोहभंग!

Mahakumbh Mela 2025: उच्च योग्यताधारी महिलाएं संन्यास की ओर, दुनिया से मोहभंग!

इस बार, एक हजार से ज्यादा महिलाओं को अखाड़ों में प्रवेश के लिए दीक्षा दी जाएगी। विशेष रूप से, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में संन्यास दीक्षा पाने वाली महिलाओं की संख्या सबसे अधिक होगी।

  • महाकुंभ में नारी सशक्तीकरण की नई मिसाल
  • उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं ने जताई सबसे ज्यादा दिलचस्पी
  • जूना अखाड़े ने मातृ शक्ति को नया सम्मान और पहचान दी

Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ के 13 अखाड़े, जो सनातन धर्म के प्रतीक माने जाते हैं, फिर से अपनी शक्ति का परिचय देने के लिए तैयार हैं। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले अखाड़ों में सनातन की ध्वजा लहराने की योजना तेज़ी से चल रही है। इस बार बड़ी संख्या में नए साधुओं को दीक्षा देने की तैयारियां हो रही हैं, और खास बात यह है कि इसमें नारी शक्ति की भागीदारी भी लगातार बढ़ रही है।

महाकुंभ: नारी सशक्तीकरण की नई मिसाल

प्रयागराज महाकुंभ नारी सशक्तीकरण के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है। महाकुंभ में मातृ शक्ति ने अखाड़ों से जुड़ने में गहरी रुचि दिखाई है, जिसके परिणामस्वरूप इस बार महाकुंभ में महिला संन्यासियों की संख्या ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने वाली है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की महिला संत दिव्या गिरी बताती हैं कि इस बार अकेले उनके अखाड़े में 200 से अधिक महिलाओं को संन्यास दीक्षा दी जाएगी। अगर सभी अखाड़ों को शामिल किया जाए तो यह संख्या 1000 से अधिक हो सकती है। फिलहाल, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है और 27 जनवरी को संन्यास दीक्षा का आयोजन होने की संभावना है।

उच्च शिक्षित महिलाओं ने दिखाई सबसे अधिक उत्साह

सनातन धर्म में वैराग्य या संन्यास लेने के कई कारण बताए गए हैं, जैसे परिवार में कोई दुखद घटना, सांसारिक मोह का समाप्त होना, या फिर आध्यात्मिक अनुभव की प्राप्ति। महिला संत दिव्या गिरी के अनुसार, इस बार महाकुंभ में संन्यास लेने वाली महिलाओं में उच्च शिक्षित और योग्य महिलाएं भी शामिल हैं, जो आध्यात्मिक जागरूकता के लिए संन्यास का मार्ग अपना रही हैं। गुजरात के राजकोट से आईं राधेनंद भारती, जो फिलहाल गुजरात की कालिदास रामटेक यूनिवर्सिटी से संस्कृत में पीएचडी कर रही हैं, इस महाकुंभ में दीक्षा लेंगी। राधे नंद भारती बताती हैं कि उनके पिता एक व्यवसायी थे और घर में सब कुछ था, लेकिन आध्यात्मिक अनुभूति की खोज में उन्होंने घर छोड़कर संन्यास लेने का निर्णय लिया। पिछले बारह साल से वह अपने गुरु की सेवा में लगी हुई हैं।

जूना अखाड़े ने महिलाओं को एक नई आध्यात्मिक पहचान दी

महाकुंभ में नारी शक्ति को सम्मान देने में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा अग्रणी रहा है। महाकुंभ से पहले, जूना अखाड़े के संतों के संगठन “माई बाड़ा” को एक नया और सम्मानित नाम दिया गया है – “संन्यासिनी श्री पंच दशनाम जूना।” आधी आबादी के इस प्रस्ताव पर अब मुहर लग चुकी है। महिला संत दिव्या गिरी बताती हैं कि महिला संतों ने यह मांग संरक्षक महंत हरि गिरि से की थी, जिन्होंने महिला संतों से नए नाम का सुझाव देने का आग्रह किया। महंत हरि गिरि ने इसे स्वीकार करते हुए इस नाम को मंजूरी दी। इस बार मेला क्षेत्र में इनका शिविर “दशनाम संन्यासिनी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा” के नाम से स्थापित किया गया है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular