Friday, September 12, 2025
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Mauni Amavasya: 29 जनवरी को होगी मौनी अमावस्या, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, स्नान और दान का समय

Mauni Amavasya 2025: माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या 29 जनवरी, बुधवार को है। इस दिन विशेष रूप से मौन व्रत रखते हुए स्नान करना चाहिए। भक्तगण इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद पूरे दिन मौन रहते हुए उपवास करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ अमावस्या के दिन संगत तट और गंगा पर देवी-देवताओं का वास होता है। इस समय प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन भी हो रहा है। मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में अमृत स्नान का विशेष महत्व होता है। गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, महाकुंभ के दौरान स्नान करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

Mauni Amavasya
Mauni Amavasya

मुहूर्त:

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ – 28 जनवरी 2025 को रात 07:35 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त – 29 जनवरी 2025 को शाम 06:05 बजे

स्नान-दान का समय
मौनी अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले मौन धारण कर स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस वर्ष स्नान का शुभ मुहूर्त 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त से शुरू होगा और पूरे दिन रहेगा। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। दृग पंचांग के अनुसार 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा। जो व्यक्ति इस मुहूर्त में स्नान नहीं कर सकते हैं, वे 29 जनवरी को सूर्यास्त तक स्नान-दान कर सकते हैं।

मौनी अमावस्या पर रखा जाता है मौन व्रत
मौनी अमावस्या पर मौन रहना आत्मसंयम का प्रतीक है। यह दिन ऋषि-मुनियों और तपस्वियों की तपस्या और साधना की स्मृति को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन ‘मनु’ ने अपने मौन व्रत का पालन किया था, और तभी से इसे ‘मौनी अमावस्या’ के रूप में मनाया जाता है।

पूजा-विधि:

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें – इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान का विशेष महत्व है। अगर नदी तक नहीं जा सकते, तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  2. दीप प्रज्वलित करें – स्नान के बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं।
  3. सूर्य देव को अर्घ्य दें – इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  4. उपवास रखें – यदि संभव हो, तो इस दिन उपवास रखें। यह आत्मिक शुद्धता और ध्यान के लिए अत्यंत शुभ है।
  5. पितर कार्य करें – पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। यह पितर पक्ष में श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है।
  6. भगवान का ध्यान करें – इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान और मंत्र जाप करें।
  7. भगवान विष्णु की पूजा – इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। उनका स्मरण और पूजा करें।
  8. भगवान शंकर की पूजा – विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा और अर्चना करें, ताकि आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हों।
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