Friday, September 12, 2025
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ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के विरोध में आए संत

ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया।
कई संतों ने ममता के महामंडलेश्वर बनने पर विरोध किया।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता का बचाव किया।

ममता कुलकर्णी महाकुंभ 2025 में महामंडलेश्वर बनीं, विवादों का सामना

ममता कुलकर्णी ने हाल ही में महाकुंभ 2025 में जूना अखाड़े से जुड़े किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त की है। यह उपाधि उन्हें महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने दी और उनका नया नाम श्रीयमाई ममता नंदगिरी रखा। हालांकि, ममता के महामंडलेश्वर बनने पर विवाद खड़ा हो गया है। कई संतों ने इस पर आपत्ति जताई है और इसे सनातन धर्म का अपमान बताया है, खासकर ममता के विवादित अतीत को ध्यान में रखते हुए।

विवाद और आलोचना: ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने पर शांभवी पीठ के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने इसे सनातन धर्म के साथ विश्वासघात करार दिया है। उनका कहना था कि ममता को इस उपाधि के लिए योग्य नहीं ठहराया जा सकता, विशेष रूप से उनके विवादित अतीत को देखते हुए। उन्होंने ममता को चेतावनी दी कि वे ऐसे जाल में न फंसें, जो उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सके।

आनंद स्वरूप महाराज का यह भी मानना था कि महिलाओं के लिए कोई त्याग मार्ग नहीं होता और ममता के कदम से महामंडलेश्वर की पदवी की गरिमा प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, निरंजनी आनंद अखाड़े के महामंडलेश्वर बालकनंद जी महाराज और आचार्य महामंडलेश्वर ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।

महामंडलेश्वर बनने के लिए जरूरी योग्यताएँ: महामंडलेश्वर बालकनंद जी महाराज ने स्पष्ट किया कि इस उपाधि के लिए व्यक्ति का चरित्र, जीवनशैली और बैकग्राउंड का गहराई से विश्लेषण किया जाता है। पंच दशनाम अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद गिरि ने भी यही राय दी। उनका मानना था कि महामंडलेश्वर बनने से पहले व्यक्ति का नैतिक चरित्र अच्छा होना चाहिए और उसे समाज का नेतृत्व करने का योग्यता होनी चाहिए।

ममता का बचाव: इस विवाद के बावजूद, कई संतों ने ममता कुलकर्णी का समर्थन भी किया है। इनमें ममता को दीक्षा देने वाली लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी शामिल हैं। रवींद्र पुरी ने कहा कि त्याग जीवन के किसी भी चरण में आ सकता है और ममता के अतीत को उनके आध्यात्मिक विकास की क्षमता पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

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