JPC की 31 सदस्यीय समिति की पहली बैठक 22 अगस्त 2024 को हुई, जिसमें वक्फ संशोधन बिल में प्रस्तावित 44 बदलावों पर चर्चा की गई। सोमवार को JPC के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने जानकारी दी कि फाइनल बैठक में सभी संशोधनों पर चर्चा की गई, जिनमें से 14 बदलावों को मंजूरी दी गई।
मुख्य बदलाव और निर्णय: |
1. वक्फ बोर्ड में अब 2 गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का नियम मान्य किया गया है। 2. NDA सांसदों द्वारा सुझाए गए 14 संशोधनों को बहुमत से स्वीकृत किया गया। 3. विपक्ष द्वारा दिए गए संशोधनों पर भी विचार हुआ, लेकिन वोटिंग के दौरान 10 के समर्थन में और 16 के विरोध में मतदान हुआ, जिसके चलते विपक्ष के प्रस्ताव खारिज कर दिए गए। |
वक्फ संपत्तियों के मिस-मैनेजमेंट, भ्रष्टाचार, और अतिक्रमण जैसे मुद्दों की लंबे समय से आलोचना होती रही है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन लाने का प्रयास किया गया। हालांकि, बिल को लेकर पहले काफी विवाद हुआ था, जिसके चलते इसे JPC को सौंपा गया।
JPC अब वक्फ (संशोधन) बिल पर अपनी रिपोर्ट संसद के बजट सत्र में पेश करेगी। यह सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल 2025 तक चलेगा।
जगदंबिका पाल ने कहा
“44 संशोधनों पर विस्तार से चर्चा हुई। 6 महीने के लंबे विचार-विमर्श के बाद हमने सभी सदस्यों से सुझाव लिए। अंतिम बैठक में बहुमत के आधार पर 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया। विपक्ष ने भी संशोधन दिए थे, लेकिन उनके समर्थन में कम वोट पड़े, इसलिए उन्हें मंजूर नहीं किया गया।”
वक्फ संशोधन बिल: मंजूर हुए बदलावों की प्रमुख बातें
1. गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी पर बदलाव:
पहले के प्रावधान में राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में 2 गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्यता थी। अब इसमें संशोधन कर पदेन सदस्यों को इससे अलग कर दिया गया है। इसका मतलब है कि राज्य और अखिल भारतीय स्तर पर वक्फ परिषदों में कम से कम 2 गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जा सकता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं होगा।
2. वक्फ संपत्तियों के फैसले का अधिकार:
पहले यह निर्णय जिला कलेक्टर को सौंपा गया था। संशोधन के अनुसार, अब यह जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी को दी जाएगी, जो यह तय करेगा कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं।
3. कानून का पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं:
बिल के एक अन्य संशोधन के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि वक्फ कानून पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं होगा। इसका मतलब यह है कि जो वक्फ संपत्तियां पहले से रजिस्टर्ड हैं, उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, जो संपत्तियां अभी तक रजिस्टर्ड नहीं हैं, उनके संबंध में भविष्य में तय मानकों के अनुरूप फैसला लिया जाएगा।
4. संपत्ति दान करने के लिए नई शर्त:
किसी भी व्यक्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में जमीन दान करने के लिए यह प्रमाणित करना होगा कि वह कम से कम 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है। साथ ही, उसे यह भी स्वीकार करना होगा कि संपत्ति के समर्पण में कोई साजिश या दबाव शामिल नहीं है।
5. BJP सांसदों द्वारा प्रस्तावित संशोधन:
बिल में हुए 14 बदलावों में से 11 संशोधन सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्यों ने प्रस्तावित किए थे। इनमें लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या और अपराजिता सारंगी शामिल थे
वक्फ संशोधन बिल पर विवाद की प्रमुख बातें
वक्फ का अर्थ होता है किसी वस्तु को अल्लाह के लिए समर्पित करना, जिसके बाद उस वस्तु पर उस व्यक्ति और उसके परिवार का कोई अधिकार नहीं रहता है। वर्तमान में करीब 10 लाख एकड़ जमीन वक्फ के नाम पर मानी जाती है। इनमें वे ज़मीनें भी शामिल हैं, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय पाकिस्तान चले गए मुसलमानों द्वारा छोड़ी गई थीं। इसके अलावा, नवाबों और राजाओं ने भी इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए कई भूमि वक्फ की थी। इन जमीनों पर लखनऊ का ऐशबाग ईदगाह, बड़ा इमामबाड़ा और कई मस्जिदें, कब्रिस्तान आदि स्थापित हैं।
मुस्लिम समुदाय के लोग, जिनकी संतान नहीं होती, वे भी अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर देते हैं ताकि उस जमीन पर मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान या अन्य सार्वजनिक काम किए जा सकें, जो समाज के लिए लाभकारी हो।
वक्फ की जमीन का आकार और महत्व:
रेलवे और आर्मी के बाद वक्फ के पास भारत में सबसे अधिक भूमि है। वक्फ की जमीन पर स्कूल और अस्पताल भी बनाए जा सकते हैं, जिसमें सभी समुदायों के लोग इलाज करवा सकते हैं और शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह, वक्फ की जमीन से सभी को लाभ हो सकता है।
भारत सरकार के अनुसार, देश में वक्फ की कुल भूमि लगभग 9.4 लाख एकड़ है, जिसकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये के आसपास है। इसका मतलब यह है कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक वक्फ की जमीन भारत में स्थित है। भारतीय रेलवे और आर्मी के बाद, वक्फ की जमीन तीसरे नंबर पर आती है, और इसका प्रशासन वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है।
विवाद का कारण:
वक्फ की जमीन का नियंत्रण और उपयोग हमेशा विवादों में रहा है, क्योंकि यह बड़े पैमाने पर संपत्ति है और इसका प्रबंधन कैसे किया जाए, यह एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। वक्फ संशोधन बिल भी इसी विवाद को हल करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों पर आलोचना हो रही है।
वक्फ बोर्ड से मिली केंद्र को शिकायतें: आंकड़े और विश्लेषण
केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड से संबंधित शिकायतों का डेटा जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच केंद्रीय लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) के तहत वक्फ बोर्ड से 566 शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें से 194 शिकायतें अवैध रूप से वक्फ भूमि के अतिक्रमण और स्थानांतरण से संबंधित थीं, जबकि 93 शिकायतें मुतावल्ली और वक्फ बोर्ड के सदस्यों के खिलाफ थीं।
मुतावल्ली उन व्यक्तियों को कहा जाता है जिन्हें वक्फ की संपत्ति के प्रबंधन और देखभाल के लिए नियुक्त किया जाता है। इसके अलावा, मंत्रालय ने ट्रिब्यूनल कोर्ट की कार्यप्रणाली का भी विश्लेषण किया और पाया कि ट्रिब्यूनल कोर्ट में कुल 40,951 मामले लंबित हैं, जिनमें से 9,942 मामले मुस्लिम समुदाय द्वारा वक्फ प्रबंधित संस्थाओं के खिलाफ दायर किए गए हैं।
वक्फ बिल 2024: पेशी और विवाद
संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया। विपक्ष की आपत्ति और विरोध के बावजूद, यह बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया था। इसके बाद, 31 सदस्यीय JPC की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थी, और संसद के शीतकालीन सत्र में JPC का कार्यकाल बढ़ाया गया।
वक्फ संशोधन बिल पर विवाद के कारण
हाल ही में संसद में एक नया वक्फ विधेयक पेश किया गया है, जो 1995 के वक्फ कानून की जगह लेने का प्रस्ताव है। इस विधेयक को लेकर विभिन्न विवाद उठे हैं। इसके बाद सरकार ने इस बिल को 8 अगस्त को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा था। इससे पहले, यह बिल केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में पेश किया था। इस बिल से जुड़े मुख्य विवाद 6 प्रमुख बिंदुओं पर केंद्रित हैं:
वक्फ संशोधन बिल: प्रमुख बदलाव
- वक्फ अधिनियम, 1995 का नया नाम: इस अधिनियम का नाम बदलकर “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995” रखा गया है, जिससे वक्फ बोर्डों और संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार, सशक्तिकरण और विकास के उद्देश्य स्पष्ट होते हैं।
- वक्फ का प्रावधान: अब वह व्यक्ति जो पिछले 5 वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन करता हो, अपनी संपत्ति वक्फ कर सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वह संपत्ति का वैध मालिक हो, और यदि कोई महिला इसमें शामिल हो, तो उसकी अनुमति भी आवश्यक होगी।
- सरकारी संपत्तियों का वक्फ के रूप में निर्धारण: विधेयक में यह कहा गया है कि जो सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में पहचानी जाएगी, वह ऐसा नहीं माना जाएगा। यदि कोई असमंजस की स्थिति उत्पन्न होती है, तो क्षेत्र के कलेक्टर को स्वामित्व का निर्धारण करने का अधिकार होगा, और वह राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। यदि संपत्ति को सरकारी माना गया, तो उसका राजस्व रिकॉर्ड अपडेट किया जाएगा।
- वक्फ संपत्ति का निर्धारण: इस अधिनियम के तहत वक्फ बोर्ड को यह अधिकार दिया गया था कि वह जांचे कि कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं। विधेयक में इस प्रावधान को हटा दिया गया है।
- वक्फ का सर्वेक्षण: पहले इस अधिनियम में वक्फ का सर्वेक्षण करने के लिए एक सर्वे आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान था। अब विधेयक में कलेक्टरों को सर्वेक्षण करने का अधिकार दिया गया है। लंबित सर्वेक्षण राज्य के राजस्व कानूनों के अनुरूप किए जाएंगे।
- केंद्रीय वक्फ परिषद: इस अधिनियम में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया है, जो केंद्रीय और राज्य सरकारों तथा वक्फ बोर्डों को सलाह देती है। वक्फ मामलों के मंत्री इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं। इस अधिनियम में यह सुनिश्चित किया गया था कि सभी सदस्य मुसलमान हों, जिसमें दो सदस्य महिलाएं भी होनी चाहिए। विधेयक के अनुसार, परिषद में दो सदस्य गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं। इसके अलावा, परिषद में सांसद, पूर्व न्यायाधीश और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भी नियुक्त किया जा सकता है, जिनका मुसलमान होना आवश्यक नहीं है।
वक्फ बोर्ड के सदस्य कौन होंगे?
- मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि
- इस्लामी कानून के विशेषज्ञ
- वक्फ बोर्डों के अध्यक्ष
- मुस्लिम सदस्यों में से दो महिलाएं होंगी।
वक्फ बोर्ड का गठन:
अधिनियम में राज्य स्तर पर वक्फ बोर्ड में चयनित सदस्य के रूप में:
(i) सांसद,
(ii) विधायक और एमएलसी,
(iii) बार काउंसिल के सदस्य,
हर श्रेणी से दो सदस्य होंगे।
नए विधेयक में इसे बदलते हुए राज्य सरकार को उपरोक्त श्रेणियों से एक व्यक्ति को नामित करने का अधिकार दिया गया है, और वह व्यक्ति मुस्लिम नहीं भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त, विधेयक में यह प्रावधान जोड़ा गया है कि वक्फ बोर्ड में:
(i) दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे, और
(ii) शिया, सुन्नी और मुस्लिम के पिछड़े वर्गों में से कम से कम एक सदस्य होना चाहिए।
इसके अलावा, यदि राज्य में बोहरा और आगाखानी समुदायों के पास वक्फ संपत्तियां हैं, तो प्रत्येक समुदाय से एक सदस्य का होना अनिवार्य होगा।
अधिनियम में जहां कम से कम दो महिला सदस्य की बात की गई थी, वहीं विधेयक में यह स्पष्ट किया गया है कि बोर्ड में दो मुस्लिम महिला सदस्य होंगी।
JPC में लोकसभा से 21 सदस्य:
वर्तमान में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में कुल 21 सदस्य हैं, जिनमें से 7 सदस्य बीजेपी से हैं। समिति की अध्यक्षता जगदंबिका पाल (BJP) कर रहे हैं। अन्य सदस्य हैं:
- निशिकांत दुबे (BJP)
- तेजस्वी सूर्या (BJP)
- अपराजिता सारंगी (BJP)
- संजय जायसवाल (BJP)
- दिलीप सैकिया (BJP)
- अभिजीत गंगोपाध्याय (BJP)
- डीके अरुणा (YSRCP)
- गौरव गोगोई (कांग्रेस)
- इमरान मसूद (कांग्रेस)
- मोहम्मद जावेद (कांग्रेस)
- मौलाना मोहिबुल्ला (सपा)
- कल्याण बनर्जी (TMC)
- ए राजा (DMK)
- एलएस देवरायलु (TDP)
- दिनेश्वर कामत (JDU)
- अरविंत सावंत (शिवसेना, उद्धव गुट)
- सुरेश गोपीनाथ (NCP, शरद पवार गुट)
- नरेश गणपत म्हास्के (शिवसेना, शिंदे गुट)
- अरुण भारती (LJP-R)
- असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM)
JPC में राज्यसभा से 10 सदस्य:
इसके अलावा, JPC में राज्यसभा से 7 सांसद भी शामिल हैं। वे हैं:
- बृज लाल (BJP)
- डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णी (BJP)
- गुलाम अली (BJP)
- डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल (BJP)
- सैयद नसीर हुसैन (कांग्रेस)
- मोहम्मद नदीम उल हक (TMC)
- वी विजयसाई रेड्डी (YSRCP)
- एम मोहम्मद अब्दुल्ला (DMK)
- संजय सिंह (AAP)
इसके अलावा, एक सदस्य के रूप में डॉ. धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े को राष्ट्रपति ने मनोनीत किया है।
JPC में हंगामे के बाद 10 सदस्य निलंबित:
JPC की 24 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया। उनका कहना था कि उन्हें प्रस्तावित बदलावों पर रिसर्च के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया था। इसके बाद समिति ने TMC सांसद कल्याण बनर्जी, ओवैसी और अन्य 8 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया।
BJP सांसद ने क्या कहा?
BJP सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि “गरीब मुसलमानों को उनका हक दिलाने के नाम पर कांग्रेस पार्टी ने वोट बैंक की राजनीति की है, और इसने हिन्दू समाज को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की साजिश रची है। आज, संसद की संयुक्त समिति ने वक्फ संशोधन विधेयक को पारित कर इस साजिश को बेनकाब किया है। अब यह विधेयक क़ानून बन जाएगा।”
विपक्षी सांसदों ने क्या कहा?
- TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, “बैठकों का यह दौर हास्यास्पद था। हमारी बातों को नजरअंदाज किया गया और पाल ने तानाशाही तरीके से कार्यवाही की।”
- DMK ने इस बिल के पारित होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की बात कही है। JPC के सदस्य और DMK सांसद ए राजा ने दावा किया कि यह प्रस्तावित कानून असंवैधानिक होगा, और उनकी पार्टी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।