Friday, September 12, 2025
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मौनी अमावस्या आज सूर्यास्त तक शुभ मुहूर्त, घर पर इस तरह स्नान कर पाऐं मोक्ष, नदियों में 5 डुबकी इस तरह लगाऐं

Mauni Amavasya Shubh Muhurat Rituals and Wishes in Hindi: मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है, चाहे वे जानबूझकर किए गए हों या अनजाने में। इस दिन मां गंगा की कृपा भक्तों पर विशेष रूप से होती है। इसके साथ ही, कुंडली में उपस्थित अशुभ ग्रहों का नाश होता है। इस साल माघी अमावस्या पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इसे और भी खास बना रहे हैं। आइए जानें इस दिन के महत्व के बारे में—स्नान, दान और तप के लाभ।

मौनी अमावस्या 2025: पूजा और व्रत विधि

मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागकर पवित्र नदी, विशेष रूप से गंगा में स्नान करने का अत्यधिक महत्व है। यदि नदी में स्नान करना संभव न हो, तो घर के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर उनकी पूजा करें और तुलसी माता की 108 बार परिक्रमा करें।

पूजा के बाद, अपनी सामर्थ्यानुसार जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन दान करें। इस दिन मौन व्रत का पालन करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। साथ ही, अपने पूर्वजों को याद करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना शुभ फलदायी होता है।

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान न कर पाए तो इस समय करें

मौनी अमावस्या पर स्नान का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 5:25 से 6:18 तक था। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से अमृत स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है, और इस समय दान भी विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। हालांकि, यदि आप ब्रह्म मुहूर्त में स्नान नहीं कर पाए हैं, तो आज राहुकाल को छोड़कर सूर्योदय से सूर्यास्त तक किसी भी समय स्नान कर सकते हैं।

मंत्र जाप के लाभ

हिंदू धर्म में हर कार्य को मंत्रों से जोड़ने का उद्देश्य उसे शुद्ध और पवित्र बनाना है। शास्त्रों के अनुसार, स्नान करते समय मंत्रों का जाप करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे शरीर और आत्मा दोनों शुद्ध रहते हैं। इसके अलावा, नियमित मंत्र जाप से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। मान्यताओं के अनुसार, स्नान के समय विशेष मंत्रों का उच्चारण करने से राहु के दुष्प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।

गंगा स्नान मंत्र

मंत्र:
गंगे च यमुने चैव, गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरी, जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

मौनी अमावस्या 2025: मौनी अमावस्या पर स्नान की विधि

जो श्रद्धालु मौनी अमावस्या के दिन कुंभ में स्नान करने नहीं जा सके, वे घर पर ही स्नान पात्र में गंगाजल मिलाकर उसमें अन्य पवित्र जल डालें। इसके बाद मां गंगा, यमुना और सरस्वती का ध्यान करते हुए, मन ही मन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें और स्नान करें। इस प्रकार से स्नान करने से कुंभ स्नान के समान आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।

मौनी अमावस्या 2025: स्नान और दान का महत्व

मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान का अत्यधिक महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों की सहायता करना पुण्य का कारण माना जाता है, जिससे जीवन में सकारात्मक फल मिलते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, दान को सबसे श्रेष्ठ कार्य माना गया है। यदि कोई व्यक्ति पितृ दोष से प्रभावित है, तो उसे तिल, तेल और वस्त्रों का दान अवश्य करना चाहिए, जिससे शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

मौनी अमावस्या स्नान मुहूर्त: स्नान का शुभ समय

मौनी अमावस्या पर स्नान का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 5:25 से 6:18 तक था। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से अमृत स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है। इस समय स्नान और दान करना विशेष रूप से शुभ माना गया है। हालांकि, राहुकाल को छोड़कर सूर्योदय से सूर्यास्त तक किसी भी समय स्नान किया जा सकता है।

वैदिक काल में मौन का महत्व

वैदिक काल में ऋषि-मुनि मौन को तपस्या का एक अभिन्न हिस्सा मानते थे। उनका विश्वास था कि मौन रखने से मन शांत और स्थिर होता है, जिससे विचारों की उथल-पुथल समाप्त हो जाती है। मौन के माध्यम से आत्मा और ब्रह्मांड के बीच सीधा संबंध स्थापित होता है। इसके अलावा, मौन वाणी से होने वाले पापों, झूठ और विवादों से बचने का एक प्रभावी उपाय भी है। वेदों और उपनिषदों में मौन को ब्रह्मचर्य, सत्य और संयम के साथ जोड़ा गया है, जिससे इसके धार्मिक और मानसिक महत्व को और बढ़ाया गया है।

मौनी अमावस्या पर मौन का महत्व
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का एक विशेष स्थान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मौन व्रत रखने से आत्मा को शांति मिलती है। मौन को आध्यात्मिक परंपराओं में ऊर्जा और आत्मिक शांति का स्रोत माना जाता है। वैदिक काल में ऋषि-मुनि अपने तप और साधना के दौरान मौन का पालन करते थे। मौन सिर्फ वाणी की चुप्पी नहीं है, बल्कि यह मन और आत्मा को शुद्ध करने का एक साधन है। आज भी मौन को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी उपाय माना जाता है।

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