हथकड़ी क्यों?
विदेश सचिव विक्रम मिस्री से उन आरोपों पर भी सवाल किया गया कि बुधवार को अमृतसर में उतरे C-17 ग्लोबमास्टर सैन्य विमान में कई निर्वासित भारतीयों को हथकड़ियों और बेड़ियों में लाया गया था.
इस पर उन्होंने स्पष्ट किया, “इस बार का निर्वासन पहले हुए निर्वासनों से थोड़ा अलग था, जैसा कि आप सभी जानते हैं. अमेरिकी प्रणाली में इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अभियान’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था, और संभवतः यही कारण था कि इसके लिए सैन्य विमान का उपयोग किया गया.
सैन्य विमान का उपयोग क्यों?
जब विदेश सचिव से पूछा गया कि अमेरिका द्वारा अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजने के लिए पिछली बार सैन्य विमान का उपयोग कब किया गया था, तो उन्होंने कहा, “मुझे इसकी सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन मैं पता करने की कोशिश करूंगा.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया), जिसे अमेरिकी अधिकारियों ने भी साझा किया था, 2012 से लागू है और इसी के तहत निर्वासन की प्रक्रिया चलाई जा रही है.
आगे कितने लोग लौटेंगे?
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि अमेरिका से लौटने वाले भारतीयों की अलग-अलग श्रेणियां हैं. कुछ लोग स्वेच्छा से वापस आते हैं, जबकि कुछ को कानूनी और न्यायिक प्रक्रियाओं के तहत अमेरिका से निकाला जाता है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या और निर्वासितों को लेकर अतिरिक्त उड़ानें आएंगी, तो उन्होंने कहा, “यह इस पर निर्भर करेगा कि अमेरिका से भेजे जा रहे लोगों की भारतीय नागरिकता की पुष्टि कितनी तेजी से होती है.
उन्होंने आगे कहा, “हर देश यह सुनिश्चित करना चाहता है कि जो व्यक्ति वापस भेजा जा रहा है, वह वास्तव में उसी देश का नागरिक हो. इससे वैधता और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे जुड़ जाते हैं. हम इस मामले पर लगातार अमेरिका के संपर्क में हैं और जैसे ही हमें सूचना मिलती है, हम उचित जांच-पड़ताल के बाद कार्रवाई करते हैं.”
मिस्री ने यह भी बताया कि भारत इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ पूरी पारदर्शिता बनाए हुए है. हालिया वार्ता के दौरान, जब भारत ने अमेरिका से संभावित निर्वासितों की जानकारी मांगी, तो अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि 487 भारतीय नागरिकों के लिए अंतिम निष्कासन आदेश जारी किए जा चुके हैं.
कितने लोगों की जानकारी मिली?
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया, “हमने अमेरिका से विवरण मांगा था और अब तक हमें 298 व्यक्तियों की पहचान से जुड़ी जानकारी प्राप्त हुई है. यह जानकारी हाल ही में मिली है, और हम इसकी जांच कर रहे हैं. बाकी व्यक्तियों को लेकर अभी तक कोई विवरण साझा नहीं किया गया है, लेकिन हम इस पर अमेरिकी अधिकारियों से संवाद बनाए रखेंगे.
मिस्री ने इस समस्या की जड़ की ओर भी इशारा किया, जो “अवैध प्रवास को बढ़ावा देने वाला माहौल” है. उन्होंने कहा, “मानव तस्करी से जुड़े गिरोह निर्दोष लोगों को धोखा देते हैं, उनसे मोटी रकम लेते हैं और विदेश भेजते हैं. लेकिन अंततः, उन्हें इसी तरह निर्वासित होकर लौटना पड़ता है. ऐसे गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है, और विदेश मंत्री ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है. सरकार को इस दिशा में और कड़े कदम उठाने होंगे.
निर्वासितों के साथ कथित दुर्व्यवहार के मुद्दे पर मिस्री ने कहा कि यह “गंभीर चिंता का विषय” है. उन्होंने आश्वासन दिया, “हम लगातार अमेरिकी अधिकारियों से कहते रहे हैं कि निर्वासितों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए. यदि हमें किसी दुर्व्यवहार की जानकारी मिलती है, तो हम हर मामले को उचित स्तर पर उठाएंगे. जब उनसे पूछा गया कि क्या 2012 में इस तरह के निर्वासन पर कोई औपचारिक विरोध दर्ज किया गया था, तो उन्होंने कहा, “मेरे पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है कि उस समय कोई विरोध किया गया था.”
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के विचारों को दोहराते हुए मिस्री ने कहा कि “यह निर्वासन प्रक्रिया कोई नई बात नहीं है, और इसे उचित प्रक्रियाओं के तहत ही अंजाम दिया जा रहा है.

