सार
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 11 जाट नेताओं को टिकट दिया था, और सभी ने जीत दर्ज की। इसके विपरीत, मुस्लिम नेताओं की स्थिति कमजोर रही। पंजाबी, सिख, ब्राह्मण और उत्तराखंड के नेताओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। वहीं, यादव, गुर्जर, राजपूत और पूर्वांचली नेताओं को नुकसान का सामना करना पड़ा।
विस्तृत रिपोर्ट
इस बार के चुनावों ने न केवल विपक्षी दलों बल्कि जातीय समीकरणों में भी बड़ा बदलाव किया है। विभिन्न समुदायों की भागीदारी और उनकी जीत के आंकड़ों ने चुनावी नतीजों को अप्रत्याशित रूप से प्रभावित किया।
जाट समुदाय की प्रभावी उपस्थिति
इस चुनाव में सबसे अधिक लाभ जाट समुदाय को हुआ। भाजपा ने 11 जाट नेताओं को टिकट दिया और सभी ने जीत दर्ज की। आम आदमी पार्टी ने सात जाट नेताओं को मैदान में उतारा था, जिनमें से केवल एक ही जीत सका। इस तरह, जाट समुदाय के नेताओं ने विधानसभा में सबसे अधिक सीटें हासिल कीं।
पंजाबी और सिख नेताओं का प्रदर्शन
इस बार पंजाबी और सिख समुदाय के नेताओं ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। पंजाबी विधायकों की संख्या 2020 के मुकाबले बढ़कर पांच हो गई, जबकि 2020 में केवल तीन पंजाबी विधायक ही जीत सके थे। इसी तरह, सिख समुदाय की विधानसभा में उपस्थिति बढ़कर चार हो गई, जबकि 2020 में यह संख्या मात्र दो थी।
ब्राह्मण समुदाय की बढ़त
भाजपा ने नौ ब्राह्मण उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिनमें से छह ने जीत हासिल की। आम आदमी पार्टी के केवल एक ब्राह्मण नेता ही विधानसभा में पहुंच सके।
वैश्य और पूर्वांचली समुदाय की स्थिति
भाजपा के सभी आठ वैश्य उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, जबकि आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनौतीपूर्ण रहा। पूर्वांचली नेताओं में भाजपा ने छह उम्मीदवार उतारे, जिनमें से चार जीते, जबकि आम आदमी पार्टी के 12 में से केवल तीन पूर्वांचली नेता जीत सके।
मुस्लिम नेताओं की गिरती स्थिति
2020 में पांच मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन इस बार यह संख्या घटकर चार रह गई।
दिल्ली देहात के मतदाताओं का आभार
दिल्ली पंचायत संघ ने ग्रामीण पृष्ठभूमि के विधायकों की बढ़ती संख्या पर दिल्ली देहात के निवासियों का आभार व्यक्त किया। संघ के प्रमुख थानसिंह यादव ने 25 विधायकों को बधाई देते हुए ग्रामीण क्षेत्रों के मुद्दों पर ध्यान देने की अपील की और भाजपा से किसी ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले विधायक को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की। उन्होंने 18 सूत्री मांगों का ज्ञापन भी नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री को सौंपने की बात कही।
गुर्जर, यादव और राजपूत नेताओं का प्रदर्शन
2020 में पांच गुर्जर नेता चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार यह संख्या घटकर चार हो गई। यादव समुदाय के नेताओं की संख्या भी घटकर दो रह गई, जबकि 2020 में यह चार थी। राजपूत समुदाय की भी सीटों में कमी आई और केवल दो नेता ही विधानसभा पहुंचे, जबकि 2020 में इनकी संख्या चार थी।
जातीय आधार पर विजयी विधायकों की संख्या
जाति | 2025 | 2020 |
---|---|---|
जाट | 12 | 08 |
वैश्य | 08 | 09 |
पूर्वांचली | 07 | 09 |
ब्राह्मण | 07 | 06 |
पंजाबी | 05 | 03 |
गुर्जर | 04 | 05 |
मुस्लिम | 04 | 05 |
सिख | 04 | 02 |
यादव | 02 | 04 |
राजपूत | 02 | 04 |
उत्तराखंडी | 02 | 01 |
दिल्ली चुनावों ने जातीय समीकरणों को नया मोड़ दिया है, और भाजपा की रणनीति ने इसे और मजबूत किया है। आगामी दिनों में इन बदलावों का दिल्ली की राजनीति पर क्या असर होगा, यह देखने वाली बात होगी।