Kumbh: पटना। बक्सर के कम्हरिया गांव के सात युवकों ने जाम से बचने के लिए मोटर चालित नाव से 550 किलोमीटर की यात्रा तय की और प्रयागराज पहुंचे। पेशेवर नाविकों से लैस इस समूह ने 11 फरवरी को अपनी यात्रा शुरू की और 13 फरवरी को संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज पहुंच गए। इनका दावा है कि उन्होंने 550 किलोमीटर की दूरी को सिर्फ 84 घंटे में पूरा किया। इनकी यात्रा का फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
तीन दिनों में बक्सर से प्रयागराज पहुंचे
बक्सर जिले के रहनेवाले मनु चौधरी, सुमंत, संदीप, सुखदेव, आदू, रविंद्र और रमेश ने प्रयागराज जाने का प्लान बनाया, लेकिन उनके मन में डर था कि सड़क या रेल मार्ग से यात्रा करने पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। फिर इन लोगों ने एक अनोखा आइडिया सोचा। दोस्तों के बीच प्रस्ताव आया कि क्यों न जाम से बचने के लिए नाव से प्रयागराज तक की यात्रा की जाए। सभी ने इस योजना को मंजूरी दी और यात्रा की तारीख तय की।
नाव से सफर करते हुए ये लोग 13 फरवरी की सुबह प्रयागराज पहुंचे और संगम में स्नान करने के बाद वहां से वापस लौटे। तीन दिनों के बाद, यानी 16 फरवरी की रात 10:00 बजे, वे अपने घर बक्सर वापस लौट आए।
यात्रा से पहले किया जबरदस्त होमवर्क
मनु बताते हैं कि यात्रा पर निकलने से पहले इन लोगों ने बहुत अच्छे से योजना बनाई थी। वे नहीं चाहते थे कि रास्ते में कोई भी परेशानी आए। इसके लिए सबसे पहले एक मजबूत नाव का चयन किया गया और उसमें दो मोटर लगाए गए, ताकि अगर एक मोटर खराब हो जाए तो दूसरा मोटर काम आ सके। नाव पर गैस चूल्हा, सिलेंडर, राशन पानी और सभी जरूरी सामान रखा गया था। बक्सर से प्रयागराज तक की यात्रा में कुल खर्च लगभग 20,000 रुपये हुआ, जैसा कि सुमंत ने बताया।
भूल गए थे कुछ जरूरी सामान
सुमंत बताते हैं कि नाव यात्रा के दौरान नेविगेशन के लिए गूगल मैप्स का इस्तेमाल किया गया। गंगा नदी के जटिल मार्ग को समझते हुए उन्होंने रात के अंधेरे में भी सुरक्षित रास्ता अपनाया। यात्रा के दौरान दो लोग नाव चलाते थे, जबकि बाकी साथी नाव में बैठे रहते थे। उन्होंने 20 लीटर पेट्रोल, सब्जियां, चावल, आटा और बिस्तर जैसी जरूरी चीजें साथ में ली थीं, लेकिन वे एक छोटी सी चीज़ भूल गए – फोन का पावर बैंक। मनु इस बात को हंसते हुए बताते हैं, लेकिन कहते हैं कि इसके बावजूद यात्रा बिना किसी बड़ी परेशानी के पूरी हो गई।
गंगा नदी में सफर करना एक चुनौती
संदीप ने बताया कि जल मार्ग का रास्ता बिल्कुल भी आसान नहीं है। अगर आप नाव चलाना नहीं जानते, तो इसे ना आजमाएं। हम सभी तैराकी जानते थे, लेकिन फिर भी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा। वे कहते हैं कि मोटर के अधिक इस्तेमाल से इंजन गर्म हो जाता था, इसलिए हर 5-7 किलोमीटर पर नाव को आराम देने के लिए मोटर बंद कर दिया जाता था और नाव को खुद लग्गा के सहारे आगे बढ़ाया जाता था।
