मुख्य बिंदु:
✅ स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी की शानदार जीत
✅ 82 मुस्लिम उम्मीदवारों की जीत ने चौंकाया
✅ क्या विधानसभा चुनाव में भी पार्टी देगी मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका?
गुजरात में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से रिकॉर्ड 82 मुस्लिम प्रत्याशी जीत हासिल करने में सफल रहे। इस नतीजे के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या बीजेपी विधानसभा चुनावों में भी मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका देकर अपनी परंपरा तोड़ेगी? हालांकि, 2027 के चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन इस रणनीति को लेकर चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं।
गुजरात में 18 फरवरी को जूनागढ़ नगर निगम, 66 नगर पालिकाओं और कुछ तहसील पंचायतों के नतीजे घोषित किए गए, जिसमें बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया।
विपक्ष के शोर में नहीं दम: गुजरात में बीजेपी की नई रणनीति?
गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में रिकॉर्ड 82 मुस्लिम उम्मीदवारों की जीत के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या बीजेपी अब अपनी रणनीति बदलकर विधानसभा चुनावों में भी मुस्लिम प्रत्याशियों को मौका देगी। माना जा रहा है कि पार्टी अपनी पारंपरिक नीति में बदलाव कर सकती है और अल्पसंख्यक समुदाय को और अधिक प्रतिनिधित्व दे सकती है। गुजरात बीजेपी मीडिया सेल के समन्वयक डॉ. यज्ञेश दवे का कहना है कि चुनावी नतीजों से साफ हो गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय अब पूरी तरह से बीजेपी के साथ खड़ा है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता, तीन तलाक और वक्फ के मुद्दों पर भले ही विपक्ष शोर मचाए, लेकिन जनता ने बीजेपी में विश्वास जताया है। मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए, भविष्य में बीजेपी में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए नए अवसर खुल सकते हैं।
2007 के बाद शुरू हुआ बदलाव
गुजरात बीजेपी मीडिया सेल के समन्वयक डॉ. यज्ञेश दवे ने पुष्टि की कि पार्टी उन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकती है जहां उनकी जीत की संभावना मजबूत है। उन्होंने कहा कि कुछ सीटों पर भविष्य में मुस्लिम प्रत्याशी खड़े किए जा सकते हैं। गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने 210 सीटों पर निर्विरोध जीत हासिल की थी, जिसमें 21 मुस्लिम उम्मीदवार भी शामिल थे। दवे ने बताया कि पार्टी ने करीब 130 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जिनमें से 82 ने जीत दर्ज की। गुजरात में बीजेपी की यह रणनीति 2007 के चुनावों के बाद शुरू हुई, जब पार्टी ने अपनी छवि बदलने के लिए अल्पसंख्यकों को जोड़ने की पहल की। 2008 तक नगर निकाय चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका दिया जाने लगा, जिससे पार्टी का सामाजिक दायरा और व्यापक हुआ।
बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय का समर्थन
गुजरात में मुस्लिम समुदाय का बीजेपी से जुड़ाव तेजी से बढ़ा। जून 2013 तक राज्य में बड़े पैमाने पर मुस्लिमों के पार्टी में शामिल होने के कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें सिर्फ सूरत में करीब 4,000 मुसलमानों ने बीजेपी की सदस्यता ली। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सद्भावना मिशन’ जैसे कई आउटरीच कार्यक्रम चलाए, जिनका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को पार्टी के साथ संवाद में शामिल करना और उनकी चिंताओं को दूर करना था।
अब जब स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी के 82 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है, तो विधानसभा चुनावों में भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारने की संभावना बढ़ गई है। अगर ऐसा होता है, तो यह राज्य की राजनीति में कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर सकता है, जो पहले से ही अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए संघर्ष कर रही है।