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अपने मुस्लिम प्रत्याशियों की जीत से उत्साहित है भाजपा। निकाय चुनाव के बाद संगठन में मुस्लिम चेहरों को जगह। अब भाजपा से जुड़ने लगा गुजरात का मुस्लिम मतदाता। |
गुजरात में भाजपा का मुस्लिमों पर भरोसा बढ़ा, संगठन में मिल रही अहम जिम्मेदारी
अहमदाबाद। पिछले तीन दशकों में गुजरात में भाजपा ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था, लेकिन अब हाल के निकाय चुनावों में मुस्लिम जनप्रतिनिधियों की संख्या 82 तक पहुंचने के बाद पार्टी ने संगठन में उन्हें अहम भूमिका देनी शुरू कर दी है। खेडा, जूनागढ़ और गिर सोमनाथ के तहसील संगठनों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर मुस्लिम नेताओं की नियुक्ति की गई है।
भाजपा के मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या और जीत का बढ़ता ग्राफ
गुजरात में भाजपा और मुस्लिम मतदाताओं के बीच वर्षों से दूरी रही, लेकिन हाल के चुनावों में यह रुख बदलता नजर आ रहा है। नगर पालिका, जिला पंचायत और तहसील पंचायत के चुनावों में भाजपा ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिससे उनकी जीत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ा।
फरवरी 2025 में हुए 66 नगर पालिका और जिला-तहसील पंचायत चुनावों में भाजपा ने 100 से अधिक मुस्लिम प्रत्याशी उतारे, जिनमें से 80 से ज्यादा ने जीत हासिल की।
निर्विरोध जीत का नया रिकॉर्ड
भाजपा के मुस्लिम प्रत्याशियों का जीत प्रतिशत 73% तक पहुंच गया। पार्टी के मीडिया प्रभारी यज्ञेश दवे के अनुसार, पहले निकाय चुनावों में भाजपा के पास 41 मुस्लिम जनप्रतिनिधि थे, जो अब बढ़कर 82 हो गए हैं। इस बार भाजपा के 210 प्रत्याशी निर्विरोध विजयी हुए, जिनमें से 21 मुस्लिम नेता थे।
मुस्लिम नेताओं को संगठन में दी जा रही बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा ने जिला और तहसील स्तर पर संगठन में भी मुस्लिम नेताओं को प्रमुख पद सौंपे हैं।
- महुधा (खेडा जिला) – मोहम्मद अशफाक मलेक को उपाध्यक्ष बनाया गया।
- वंथली (जूनागढ़) – हुशेना बेन सोढा को उपाध्यक्ष पद सौंपा गया।
- कोडीनार (गिर सोमनाथ) – आबिदा खातून नकवी को अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
कांग्रेस का भाजपा पर निशाना
भाजपा के इस रुख को लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी का कहना है कि भाजपा को जब जरूरत होती है, तब वह मुस्लिम नेताओं को टिकट और पद देती है, लेकिन जब मुस्लिम समुदाय किसी परेशानी में होता है, तब भाजपा उनकी चिंता नहीं करती।
क्या यह भाजपा और मुस्लिम समुदाय के बीच नए रिश्ते की शुरुआत है?
गुजरात की राजनीति में भाजपा और मुस्लिम समुदाय के संबंधों में बदलाव देखने को मिल रहा है। चुनावी राजनीति से आगे बढ़कर अब संगठन में भी मुस्लिम नेताओं को स्थान दिया जा रहा है, जो भविष्य की राजनीति के नए संकेत दे सकता है।