मुख्य बातें: |
अबू आजमी के औरंगज़ेब की प्रशंसा पर विवाद गहराया। औरंगज़ेब ने गैर-मुसलमानों पर जज़िया कर लगाया था। अपनी मृत्यु से पहले औरंगज़ेब ने अपने किए कर्मों पर पछतावा जताया। |
औरंगजेब: इतिहास के विवादास्पद पन्नों से
देश की राजनीति में मुगल शासक औरंगजेब फिर चर्चा में है। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी द्वारा किए गए उनके महिमामंडन पर विवाद बढ़ गया है। अगर इतिहास पर नजर डालें तो औरंगजेब को सबसे विवादास्पद मुगल शासकों में गिना जाता है।
औरंगजेब ने गैर-मुसलमानों पर जज़िया कर जैसी भेदभावपूर्ण नीतियां लागू की थीं। उनके शासन में कई हिंदू मंदिरों को नष्ट किया गया, जिनमें काशी और सोमनाथ मंदिर भी शामिल थे। उन्होंने सिखों के गुरु तेग बहादुर का सिर कलम करवा दिया और गुरु गोविंद सिंह के बेटों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया। संभाजी महाराज को यातनाएं दी गईं, उनकी आंखें फोड़ दी गईं और नाखून तक उखाड़ लिए गए।

औरंगजेब के शासनकाल में भारत में शरियत आधारित ‘फतवा-ए-आलमगीरी’ लागू किया गया। उनकी नीतियों और क्रूरता के कारण मुगल साम्राज्य का विस्तार हुआ, लेकिन इसकी नींव भी कमजोर होती चली गई।
मृत्यु से पहले पछतावा
1707 ईस्वी में औरंगजेब की मृत्यु हुई। कहा जाता है कि अपने अंतिम दिनों में उन्होंने अपने बेटों आजम शाह और काम बख्श को पत्र लिखकर अपने कर्मों पर पछतावा जाहिर किया था।
राम कुमार वर्मा की पुस्तक ‘औरंगजेब की आखिरी रात’ में उनके अंतिम पत्रों का उल्लेख मिलता है, जिसमें उन्होंने लिखा:
“अब मैं बूढ़ा और दुर्बल हो गया हूं। मुझे नहीं पता कि मैं कौन हूं और इस संसार में क्यों आया। मैंने लोगों का भला नहीं किया, मेरा जीवन निरर्थक चला गया। मैं नहीं जानता कि अल्लाह मुझे क्या सजा देगा, लेकिन अपने पापों का परिणाम मुझे भुगतना होगा।”

शाहजहां से क्रूरता
औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को आगरा के किले में कैद कर दिया था। कहा जाता है कि उन्होंने अपने पिता को पानी तक के लिए तरसा दिया। अपनी आत्मकथा ‘शाहजहांनामा’ में शाहजहां ने लिखा था,
“खुदा करे कि ऐसी औलाद किसी को न मिले। औरंगजेब से अच्छे तो हिंदू हैं, जो अपने माता-पिता की सेवा करते हैं और उनकी मृत्यु के बाद तर्पण करते हैं।”
सिंहासन के लिए युद्ध
औरंगजेब अपने साम्राज्य को अपने पुत्रों में विभाजित करना चाहता था, लेकिन उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। उनकी मृत्यु के बाद उत्तराधिकार को लेकर उनके बेटों के बीच युद्ध छिड़ गया। अंततः उनके बड़े बेटे शाहजादा मुअज्जम ने अपने भाइयों आजम और काम बख्श को हरा दिया।
सरल मकबरे में दफनाया गया
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास खुल्दाबाद गांव में औरंगजेब को बेहद साधारण तरीके से दफन किया गया। उनकी कब्र कच्ची मिट्टी की बनी है, जिसके ऊपर कोई छत नहीं है। कहा जाता है कि यह सम्राट अपने किए पापों के प्रायश्चित में जलता रहा और आज भी परमात्मा के न्याय का इंतजार कर रहा है।