झारखंड में आतंक का पर्याय बन चुके अमन साहू का आखिरकार अंत हो गया। पुलिस ने मंगलवार को पलामू में हुए एक एनकाउंटर में उसे मार गिराया। अमन साहू कितना बड़ा गैंगस्टर था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसे झारखंड का लॉरेंस बिश्नोई कहा जाने लगा था। जिस तरह लॉरेंस बिश्नोई जेल में रहते हुए दिल्ली से मुंबई तक वसूली, लूट और हत्या को अंजाम देता था, ठीक उसी तरह अमन साहू भी छत्तीसगढ़ की जेल से अपना पूरा नेटवर्क चला रहा था।
दुबले-पतले शरीर और मासूम चेहरे वाले अमन साहू पर 150 से अधिक मुकदमे दर्ज थे। वह लॉरेंस बिश्नोई से भी हाथ मिला चुका था। कभी हार्डकोर नक्सली रह चुका अमन साहू पिछले कई वर्षों से अपराध की दुनिया का बड़ा नाम बन गया था। उसका गैंग वसूली, लूट और हत्या जैसे संगीन अपराधों में शामिल था, जिसमें सैकड़ों शूटर्स और गुर्गे थे।

अमन साहू मुख्य रूप से झारखंड से छत्तीसगढ़ तक कोयला कारोबारियों को निशाना बनाता था। वह इनसे भारी रकम वसूलता था, और इनकार करने पर बेरहमी से हत्या कर देता था। हाल ही में उसने एक कोयला ट्रांसपोर्टर पर फायरिंग कराई थी। इसी मामले में पूछताछ के लिए रांची पुलिस उसे रायपुर जेल से ला रही थी। रायपुर जेल में रहते हुए भी वह अपने गैंग को सक्रिय रूप से संचालित कर रहा था और लगातार आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहा था।
लॉरेंस बिश्नोई से अमन साहू का कनेक्शन
अमन साहू बीते कुछ सालों में लॉरेंस बिश्नोई का खास बन चुका था। बताया जाता है कि वह बिश्नोई गैंग को शूटर्स और गुर्गे मुहैया कराता था, जिसके बदले में उसे अत्याधुनिक हथियार और अन्य संसाधन मिलते थे। लॉरेंस बिश्नोई से हुई पूछताछ के दौरान भी अमन साहू का नाम सामने आया था। इसके अलावा, वह बिश्नोई गैंग के शूटर्स को सुरक्षित सीमापार कराने में भी मदद करता था। दोनों के बीच की यह गहरी साझेदारी उन्हें अपराध की दुनिया में और भी खतरनाक बना रही थी।
सोशल मीडिया पर भी था एक्टिव
अमन साहू सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय था। उसका अकाउंट विदेश में बैठे किसी व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा था। एनकाउंटर से महज 15 घंटे पहले उसकी एक तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट की गई थी। साहू सिर्फ अपराध की दुनिया तक ही सीमित नहीं था, बल्कि वह राजनीति में भी कदम रखना चाहता था। वह बड़कागांव से विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रहा था।
