चीन ने बलूचिस्तान में विभिन्न परियोजनाओं में अरबों डॉलर झोंक रखे हैं। उसके लिए CPEC प्रोजेक्ट न केवल मध्य पूर्व के बाजारों तक तेज़ और किफायती मार्ग सुनिश्चित करने का जरिया है, बल्कि दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति का अहम हिस्सा भी है। अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक, चीन इस प्रोजेक्ट में 60 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर चुका है।
1. बलूचिस्तान में बढ़ते हमलों से CPEC परियोजना संकट में 2. अरबों डॉलर के निवेश के बावजूद चीन को भारी नुकसान 3. बलूचिस्तान में आजादी की लड़ाई ने पकड़ा जोर |
बलूचिस्तान में बढ़ती अशांति से पाकिस्तान और चीन में हड़कंप
बीजिंग/इस्लामाबाद: बलूचिस्तान में बढ़ती आजादी की लड़ाई ने पाकिस्तान की नींव हिला दी है। पाकिस्तान सरकार इस संघर्ष को काबू में लाने में नाकाम दिख रही है। हालात बिगड़ते रहे तो पाकिस्तान के टुकड़े होने का खतरा बढ़ जाएगा और चीन के अरबों डॉलर के निवेश पर भी संकट आ सकता है।
हाल ही में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने जाफर एक्सप्रेस हाईजैक करने के बाद पाकिस्तान सेना पर बड़ा हमला किया। BLA ने सैनिकों से भरी बस को उड़ा दिया और दावा किया कि इसमें करीब 90 जवान मारे गए। इस बढ़ते संघर्ष से घबराए चीन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता देने की पेशकश की है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने जाफर एक्सप्रेस हमले की निंदा करते हुए कहा कि चीन पाकिस्तान के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने और क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखने के लिए तैयार है।
CPEC पर मंडरा रहा खतरा
BLA के हमलों के कारण चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) खतरे में पड़ गया है। चीन ने इस परियोजना में करीब 65 अरब डॉलर का निवेश किया है, जो उसे मध्य पूर्व तक सीधी पहुंच दिलाने और दक्षिण एशिया में प्रभाव बढ़ाने का अवसर देता है। लेकिन बलूच विद्रोही इसे अपनी जमीन और संसाधनों की लूट बता रहे हैं।
बलूचों का आरोप है कि पाकिस्तान और चीन उनके प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहे हैं और स्थानीय लोगों को विस्थापित किया जा रहा है। ग्वादर पोर्ट के निर्माण के लिए हजारों बलूचों को उनके घरों से हटा दिया गया, जिसके कारण इलाके में असंतोष बढ़ गया है।
चीनी कर्मियों पर बढ़ते हमले
बलूच विद्रोही लगातार CPEC परियोजना से जुड़े चीनी कर्मियों को निशाना बना रहे हैं। इससे घबराए चीन ने पाकिस्तान पर अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के जवान तैनात करने का दबाव बनाया है। हालांकि, पाकिस्तान अपनी धरती पर चीनी सैनिकों की तैनाती को लेकर असमंजस में है, क्योंकि इससे उसे घरेलू राजनीतिक विरोध का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि चीन जल्द ही बलूचिस्तान में अपने सैनिक भेज सकता है।