Meerut Murder Case: मेरठ हत्याकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। आरोपी पत्नी और उसके प्रेमी के कमरे से शैतान की तस्वीर और तंत्र-मंत्र से जुड़ा सामान बरामद होने के बाद इस केस का काला जादू से संबंध होने की आशंका जताई जा रही है। आइए जानते हैं पूरी कहानी—
1. काला जादू और डायन प्रथा क्या होती है? 2. किन राज्यों में इस पर प्रतिबंध के लिए कानून बने हैं? 3. राष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानून की मांग क्यों हो रही है? |
काला जादू और अंधविश्वास पर फिर छिड़ी बहस
इस घटना ने भारत में अंधविश्वास और काले जादू से जुड़े अपराधों पर नई बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर लोग महाराष्ट्र और कर्नाटक की तर्ज पर एक राष्ट्रीय कानून की मांग कर रहे हैं।

कैसे हुई हत्या?
पुलिस जांच में पता चला कि पत्नी मुस्कान ने स्नैपचैट पर फर्जी आईडी बनाकर साहिल को यह विश्वास दिलाया कि उसकी मरी हुई मां ने सौरभ की हत्या का आदेश दिया है। साहिल ने इस पर विश्वास कर लिया।
भारत में काला जादू और अंधविश्वास से जुड़े अपराध
- 2021 में मानव बलि के 6 और जादू-टोने से जुड़ी 68 हत्याएं दर्ज हुईं।
- केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना में जादू-टोने के सबसे अधिक मामले सामने आए।
- 1999-2013 के बीच डायन कहकर 2,300 से अधिक हत्याएं हुईं।
किन राज्यों में हैं काले जादू के खिलाफ कानून?
- बिहार (1999): डायन प्रथा रोकने के लिए देश का पहला कानून।
- छत्तीसगढ़ (2005): ‘टोनही’ प्रथा निवारण अधिनियम लागू।
- झारखंड (2001) और ओडिशा (2013): डायन-शिकार रोकने के लिए कानून।
- महाराष्ट्र (2013): काला जादू और मानव बलि पर रोक लगाने के लिए सख्त प्रावधान।
- राजस्थान (2015) और असम (2018): डायन-शिकार पर कड़े कानून।
- कर्नाटक (2020): अमानवीय दुष्ट प्रथा और काला जादू रोकथाम अधिनियम लागू।
कानूनों के प्रभाव और चुनौतियाँ
इन कानूनों के बावजूद, सामाजिक जागरूकता और कड़े प्रवर्तन की कमी के कारण अंधविश्वास से जुड़े अपराध जारी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एक केंद्रीय कानून बनाकर इसे प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है।