Thursday, September 11, 2025
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत का बड़ा कदम, सिंधु जल संधि पर रोक लगाने का फैसला

22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस क्रूर हमले में कई बेगुनाह पर्यटक मारे गए और कई घायल हुए। अब सवाल यह है कि भारत इस हमले के बाद पाकिस्तान को किस तरह से जवाब देगा? चर्चा तेज है कि भारत अब सिंधु जल संधि पर भी सख्त रुख अपना सकता है।

1. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत का सख्त कदम: भारत ने सिंधु जल संधि को रोकने का फैसला लिया।
2. 1960 से चला आ रहा समझौता अब विवाद की जड़ बनता जा रहा है, भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव।
3. किशनगंगा प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान की आपत्ति: पाकिस्तान ने कई बार भारत की जल परियोजनाओं पर सवाल उठाए थे।

क्या है सिंधु जल संधि?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में यह संधि हुई थी, जिसमें सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों का पानी दोनों देशों के बीच बांटा गया है। इस समझौते के तहत भारत तीन पूर्वी नदियों (रावी, व्यास, सतलज) का और पाकिस्तान तीन पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) का उपयोग करता है।

पहलगाम हमले के बाद क्यों उठी संधि रोकने की बात?

आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की भूमिका को लेकर पहले भी भारत के पास ठोस प्रमाण रहे हैं। अब पहलगाम जैसे दर्दनाक हमले के बाद यह मांग फिर जोर पकड़ रही है कि पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के लिए सिंधु जल संधि को रिव्यू या सस्पेंड किया जाए।

अगर भारत सिंधु जल संधि रोकता है तो पाकिस्तान पर क्या असर होगा?

  1. पानी की भारी किल्लत:
    पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है और वह झेलम व चिनाब जैसी नदियों से आने वाले पानी पर बहुत हद तक निर्भर करता है। पानी रोके जाने से खेती, बिजली और पीने के पानी की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित होगी।
  2. बढ़ेगा आर्थिक संकट:
    पहले से डूबती पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ेगा। पानी की कमी से कृषि उत्पादन गिरेगा और आयात पर निर्भरता बढ़ेगी।
  3. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलगाव:
    भारत अगर विश्व समुदाय को यह भरोसा दिला दे कि पाकिस्तान अपने ही समझौतों का सम्मान नहीं करता और आतंक को प्रश्रय देता है, तो पाकिस्तान के लिए वैश्विक मंचों पर समर्थन जुटाना मुश्किल होगा।
  4. भारत का एक कड़ा संदेश:
    इस कदम से भारत यह साफ कर देगा कि आतंकवाद का कोई भी समर्थन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और इसके हर स्तर पर जवाब दिए जाएंगे – कूटनीतिक, सामरिक और आर्थिक।
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