रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के प्रशंसक हमेशा जोश और जुनून से भरपूर रहे हैं। जब विराट कोहली की टीम ने 18 साल के लंबे इंतजार के बाद ट्रॉफी जीती, तो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर प्रशंसक में उमंग की अलग ही लहर दिखाई दी। कोई सोच भी नहीं सकता था कि चिन्नास्वामी स्टेडियम में यह भारी भीड़ RCB फैन्स के लिए इतने संकट में बदल जाएगी।”
बेंगलुरु का एम चिन्नास्वामी स्टेडियम, जहां हमेशा क्रिकेट प्रेमियों का जोश और उल्लास देखने को मिलता है, मंगलवार को एक अलग ही मंजर में बदल गया। उत्साह और चीखों के बीच, यह मैदान एक अनचाही चुप्पी में खो गया। RCB ने मैदान पर जीत दर्ज की, लेकिन उसके प्रशंसकों के लिए यह सिर्फ जश्न का दिन नहीं था—बल्कि कुछ ऐसे पल थे जो उन्हें हमेशा याद रहेंगे।

यह वह क्षण था जब कुछ युवा, जो खेल के प्रति गहरा प्रेम रखते थे, कठिन परिस्थिति के सामने बेबस हो गए। स्टेडियम के बाहर की तस्वीरें दिल दहला देने वाली थीं। एक नन्हा, महज 13-14 साल का RCB प्रशंसक, भगदड़ के बाद अचेत अवस्था में पड़ा हुआ दिखाई दिया। एक पुलिसकर्मी ने उसे भीड़ से निकालने की कोशिश की, अपनी गोद में उठाकर सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ता हुआ नजर आया।

इस मासूम की हालत देखकर साफ था कि विक्ट्री परेड का उत्साह उसके लिए कितना भारी पड़ गया। एक पुलिसकर्मी पूरी कोशिश करता हुआ नजर आया, अपनी पूरी ताकत लगाकर बच्चे की जान बचाने में जुटा। वह तेजी से उसे अस्पताल ले जाने के लिए दौड़ा, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि बच्चे को बचाया जा सका या नहीं।

बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में मची भगदड़ की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। अब तक 11 RCB प्रशंसकों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई प्रशंसक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। इस भयावह घटना को लेकर कर्नाटक सरकार ने प्रशंसकों से क्षमा याचना की है।

यह माफी उन परिवारों के दर्द को कम नहीं कर सकती, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। एम चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता केवल 40 हजार दर्शकों की है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि अचानक वहां छह लाख लोग पहुंच गए, जिससे भारी भीड़ और अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई।

भगदड़ के दौरान हर कोई आगे बढ़ने की कोशिश में एक-दूसरे से टकराता हुआ भाग रहा था। एक पुलिसकर्मी, अपनी वर्दी से ज्यादा आंखों में जिम्मेदारी का भाव लिए, एक घायल युवक को गोद में उठाए तेजी से दौड़ रहा था। उस लड़के का सिर पीछे लटक रहा था, मानो उसने सारी उम्मीदें छोड़ दी हों।

“चारों ओर हाहाकार मचा था, लेकिन उस पुलिसकर्मी की आंखों में सिर्फ एक ही उद्देश्य था—शायद किसी की जिंदगी बचा सके। वह तस्वीर किसी अखबार की सुर्खी से ज्यादा, इंसानियत की आखिरी चीख थी। इस हादसे में कई लोग घायल हो गए, कुछ बेहोश होकर गिर पड़े, और कुछ की सांसें वहीं थम गईं।

जिन हाथों में RCB के पोस्टर थे, अब वही हाथ अपने किसी प्रियजन को थामे हुए थे। चेहरों पर जश्न की जगह एक ही सवाल था—आखिर यह कैसे हुआ? स्थानीय लोगों के अनुसार, सुरक्षा व्यवस्था अपर्याप्त थी। स्टेडियम से बाहर निकलने के रास्ते जल्दी ही भारी भीड़ से भर गए। कई स्थानों पर पुलिस बल की कमी थी, और आयोजकों ने अंतिम क्षणों तक गेट खोलने में देरी की, जिससे हालात बिगड़ते चले गए।