ईरान और इज़राइल के बीच जारी टकराव मिडिल ईस्ट को एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा कर रहा है। दोनों देश एक-दूसरे पर सैन्य कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस पूरे घटनाक्रम में मिडिल ईस्ट के अधिकतर मुस्लिम देश खामोश हैं। यद्यपि ये देश इजराइल के हमलों की निंदा कर रहे हैं, लेकिन खुलकर ईरान का समर्थन करते नहीं दिख रहे।
मिडिल ईस्ट में कुल 16 मुस्लिम देश हैं, जिनमें सऊदी अरब, तुर्की, जॉर्डन, बहरीन, लेबनान, यूएई, इराक, कतर, कुवैत, यमन, सीरिया, ओमान, मिस्र, लीबिया, अजरबैजान और फिलिस्तीन शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर देश सुन्नी बहुल हैं, जबकि ईरान शिया मुस्लिम राष्ट्र है और खुद को वैश्विक शिया समुदाय का प्रतिनिधि मानता है।
क्या यही वजह है कि ईरान को समर्थन नहीं मिल रहा?
एक बड़ा कारण शिया-सुन्नी विवाद को माना जा रहा है। कई मुस्लिम देश आपसी गुटबाजी, प्रॉक्सी वॉर और राजनीतिक मतभेदों के चलते ईरान का साथ देने से बच रहे हैं।
क्षेत्रीय तनाव के प्रमुख उदाहरण:
1. सऊदी अरब बनाम ईरान:
मिडिल ईस्ट में सबसे बड़ा टकराव शिया ईरान और सुन्नी सऊदी अरब के बीच है। 1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति के बाद से दोनों देश क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने की होड़ में हैं। लेबनान, यमन और सीरिया में ये दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध लड़ रहे हैं। सऊदी अरब सुन्नी विद्रोहियों का समर्थन करता है, जबकि ईरान हिज्बुल्लाह और हूती जैसे शिया गुटों को मदद देता है।
2. यमन और सीरिया में संघर्ष:
यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों और सऊदी समर्थित सरकार के बीच टकराव है। वहीं सीरिया में असद सरकार को ईरान का समर्थन है, जबकि तुर्की और सऊदी विद्रोहियों को समर्थन देते आए हैं। दोनों ही देशों में विदेशी हस्तक्षेप से संघर्ष और जटिल हो चुका है।
3. इराक, लेबनान और बहरीन में तनाव:
इराक में शिया सरकार और सुन्नी चरमपंथी संगठन ISIS के बीच टकराव चल रहा है। लेबनान में ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह और सुन्नी दलों में सियासी संघर्ष जारी है। बहरीन में शिया बहुल जनसंख्या है, लेकिन सत्ता पर सुन्नी शासक हैं, जिस कारण 2011 से विरोध और टकराव की स्थिति बनी हुई है।

मिडिल ईस्ट में ईरान के विरोधी देश:
1. सऊदी अरब:
यह देश खुद को सुन्नी इस्लाम का रक्षक मानता है। 2016 में एक शिया धर्मगुरु को फांसी देने के बाद से दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ गए।
2. बहरीन:
2011 के जनविद्रोह को बहरीन सरकार ने ईरान प्रायोजित बताया। तब से दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हैं।
3. यूएई:
यमन में ईरान समर्थित हूतियों से लड़ाई के चलते यूएई का झुकाव सऊदी की ओर रहा है। ईरान की नीतियों को लेकर यूएई लगातार सख्त रुख अपनाता रहा है।
4. कुवैत:
यहां शिया आबादी अल्पसंख्यक है, और ईरान की राजनीतिक दखलंदाजी की कोशिशों से दोनों देशों के बीच खिंचाव बना रहता है।
5. जॉर्डन:
जॉर्डन का ईरान से कोई सीधा टकराव नहीं है, लेकिन वह ईरान को क्षेत्रीय खतरे के तौर पर देखता है।