हाल ही में हैदराबाद के शमशाबाद एयरपोर्ट पर एक बेहद ख़तरनाक हादसा टल गया जब मुंबई की ओर उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की प्लेन में अचानक तकनीकी खराबी आई। पायलट ने मँडराते खतरों का एहसास पाते ही फ़ौरन फ्लाइट को रनवे पर रोक दिया — एक ऐसा साहसी और तेज़ निर्णय जिसने एक बड़ी त्रासदी को जन्म लेने से पहले ही खारिज कर दिया।
ये हादसा उस समय और भी हिला देने वाला बन गया जब इसके ठीक कुछ दिन पहले अहमदाबाद में हुआ एयर इंडिया का बड़ा विमान क्रैश सामने आया। वो हादसा एक मेडिकल कॉलेज के ठीक ऊपर घटा, जहाँ 200 से अधिक लोगों की जानें चली गयीं। इस दर्दनाक घटना में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शहीद घोषित किए गए, और उनके घर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह ने पहुंचकर शोक प्रकट किया।
लेकिन इससे भी दिल दहला देने वाली बात ये है कि यह त्रासदी सिर्फ खबरों या आंकड़ों की कहानी नहीं थी — यह अनकहे क़िस्से की भी कहानी थी। सपनों से भरे परिवार चौंक गए, और यूरोप जाने की तैयारी जोरों पर थी, अचानक ही सब कुछ उजड़ गया। इस हादसे में सिर्फ एक ही शख्स — विश्वास रमेश — जिंदा बचा। रमेश ने मीडिया को बताया कि वह लाशों के पहाड़ में दबा हुआ था और जिस मासूम की उसे तलाश थी, उसका खून अब न कोई पहचान पाता, न कोई आवाज़ उसमें बची थी। उसे समय रहते अस्पताल पहुंचाया गया जहाँ प्राथमिक उपचार से उसकी जान बची।
जाँच एजेंसियाँ अब ब्लैक बॉक्स को डीकोड करने में लगी हुई हैं — माना जा रहा है कि आने वाले हफ्तों में पर्दा उठेगा और छिपे सवालों के जवाब मिलेंगे। डीएनए मैचिंग से ज्यादातर यात्रियों की पहचान हो चुकी है, लेकिन चौतरफा सवाल अभी भी हवा में तैर रहे हैं — क्या सचित्र होगी दुर्घटना की वजह? कितने सवाल रहेंगे अनुत्तरित? और सबसे बड़ी बात: क्या ये हादसा सिर्फ तकनीकी खामी का पर्दा था या सुरक्षा प्रणालियों में कहीं कोई बुनियादी धांधली?
हैदराबाद की यह घटना एक चेतावनी बनकर सामने आई है — कि एक मजबूत इंजन या आयरन कोंक्रीट रनवे इंसान की सूझ-बूझ और त्वरित निर्णय से कहीं अधिक बलवान हो सकते हैं।