ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे तनाव के बीच रविवार को अमेरिका ने भी हस्तक्षेप करते हुए ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने फोर्डो, नतांज और एस्फाहान जैसे संवेदनशील स्थलों को निशाना बनाया। इस कदम से पश्चिम एशिया में हालात और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं, जिसका असर अब वैश्विक ऊर्जा बाजारों और भारत की रसोई तक पहुंचता दिख रहा है।
कच्चा तेल महंगा, LPG सप्लाई पर संकट
अमेरिकी कार्रवाई के बाद सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें जनवरी के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं। इसके साथ ही भारत में LPG यानी रसोई गैस की आपूर्ति पर भी खतरा मंडराने लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान ने प्रतिक्रिया में कोई बड़ा कदम उठाया, तो तेल और गैस की वैश्विक आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे भारत जैसे आयात-निर्भर देश पर गंभीर असर पड़ेगा।
भारत की जनता पर पड़ेगा सीधा असर
भारत अपनी जरूरत का करीब 66% LPG गैस विदेशों से आयात करता है, जिसमें सऊदी अरब, यूएई और कतर जैसे पश्चिम एशियाई देश मुख्य स्रोत हैं। देश में हर तीन में से दो सिलेंडर इन क्षेत्रों से आते हैं। ऐसे में सप्लाई ठप होने की स्थिति में भारत की आम जनता को रसोई गैस के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
सिर्फ 16 दिन का स्टॉक मौजूद
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत के पास फिलहाल केवल 16 दिन की औसत खपत के बराबर ही LPG स्टोरेज की क्षमता है। अगर सप्लाई पूरी तरह रुकती है तो यह स्टॉक दो हफ्ते से थोड़ा ही ज्यादा चलेगा, जिसके बाद स्थिति गंभीर हो सकती है।
उज्ज्वला योजना ने बढ़ाई निर्भरता
केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना के तहत अब तक 33 करोड़ घरों तक रसोई गैस सिलेंडर पहुंच चुका है। इसके चलते देश में LPG की मांग में भारी बढ़ोतरी हुई है और विदेशों से आयात पर निर्भरता भी बढ़ी है।
पेट्रोल-डीजल को लेकर फिलहाल राहत
सौभाग्य की बात यह है कि पेट्रोल और डीजल को लेकर अभी कोई खतरा नहीं है। भारत घरेलू स्तर पर न सिर्फ अपनी जरूरत का उत्पादन करता है, बल्कि 40% पेट्रोल और 30% डीजल विदेशों में भी निर्यात करता है। ज़रूरत पड़ने पर ये एक्सपोर्ट रोके जा सकते हैं और घरेलू सप्लाई को प्राथमिकता दी जा सकती है।