भगवती जोशी
फतह नगरl आषाढ़ का महीना लग गया है. पूरे मेवाड़ में जम के बारिश हो रही है लेकिन फतेह नगर का तालाब सुखा है. इसमें एक बूंद पानी नहीं आया है.
कारण खुद फतह नगर की जनता है. आधे वे लोग हैं जिन्होंने इस 90 बीघा तालाब में आने वाले प्राकृतिक नालों को अवरुद्ध कर अतिक्रमण कर दिया है. और आधी वो जनता हैं जो मूक दर्शक बनकर इस कस्बे की जान फतहनगर तालाब को पल-पल मरते हुए देख रही है.
हर इंसान को पता है कि जहां पानी होता है वहीं कस्बे,शहर, नगर बसते हैं. विकास होता है. धर्म की पताका गगनचुंबी लहराती है. तीज त्योहार मनाए जाते हैं.
यह सब जानते हुए भी फतेह नगर की जनता, समाजसेवी, व्यापारी संगठन और जिम्मेदार राजनीतिक दल व नेता सब मिलकर इस तालाब को सुखाने, अतिक्रमणिया के भरोसे छोड़ने व अपनी अकर्मण्यता, लापरवाही और आलस के नाम पर इस तालाब की बलि देने में जुटे हुए हैं.
फतहनगर के तालाब को बर्बाद करने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल बराबर के जिम्मेदार है. क्योंकि दोनों ही दलों की सरकार हर 5 साल में जयपुर में रही है. इन सबके बावजूद कस्बे की अस्मिता से जुड़े इस तालाब की यह हालत है.
तालाब बचाने के संघर्ष को 11 साल हुए लेकिन नतीजा शून्य
फतहनगर तालाब बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष रतन मीणा कहते हैं की 26 नवंबर 2014 को कस्बे के सभी समाजसेवी, प्रबुद्ध जन, व्यापारी संगठन, शिक्षक संस्थान, धार्मिक संगठनों ने मिलकर इस तालाब को बचाने की मुहिम चलाई. लगातार 73 दिनों तक 5 ट्रैक्टर व 2 जेसीबी लगाकर अंग्रेजी बबुल उखाड़े, पाल को अतिक्रमण से मुक्त कराया, 5 से 6 फीट की गहराई की, लेकिन आज नतीजा शून्य है.
तालाब में गिरने वाले नालों को अतिक्रमियों ने अवरुद्ध कर दिया है. तालाब में पानी अब आता ही नहीं. स्थानीय प्रशासन व नगर पालिका को तुरंत कदम उठाते हुए नालो को अतिक्रमण से मुक्त करते हुए तालाब को भरना सुनिश्चित किया जाए ताकि यह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो. नगर पालिका के लिए आय का भी अच्छा माध्यम बन सके.
मीणा ने कहा कि तालाब को पुनर्जीवित करने व जल संग्रहण के लिए स्थानीय नगर पालिका प्रशासन के पास 3 करोड रुपए का फंड है. लेकिन वह इसका उपयोग इस कार्य के लिए नहीं कर रहे हैं.यह बहुत ही दुखद बात है.
जल झूलनी ग्यारस, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि के लिए हमें दूसरे गांव के तालाबों पर जाना पड़ता है
नगर यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष विकास लावटी का कहना है कि तालाब में पानी नहीं होने की वजह से नगर वासियों को धार्मिक तीज त्यौहार मनाने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. जलझूलनी ग्यारस, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि आदि त्योहारों पर कस्बा वासियों को नगर में तालाब होते हुए भी चंगेडी आदि गांव के तालाबों की ओर रुक करना पड़ता है.
उनका कहना है कि यह विषय राजनीति से जुड़ा हुआ नहीं है यह फतेहनगर कस्बे की सामाजिक और धार्मिक अस्मिता से जुड़ा हुआ विषय है और इसके लिए सभी लोगों को अपनी -अपनी राजनीतिक पहचान को दरकिनार करते हुए साथ में आना होगा. अभी बारिश का मौसम है नगर पालिका अवस्थानी प्रशासन को तुरंत कदम उठाते हुए तालाब में गिरने वाले नालों को अतिक्रमणों से मुक्त कर इसमें पानी ले जाने की व्यवस्था करनी चाहिए.
नालों को अतिक्रमणों से मुक्त कर इसमें पानी ले जाने की व्यवस्था करनी चाहिए.
स्थानीय पार्षद नारायण मोर, रोहित पालीवाल का कहना है की नाले की सफाई और अतिक्रमणियों से मुक्त कराने के लिए नगर पालिका को कई बार कहा जा चुका है लेकिन उनके कान पर जन तक नहीं रेंगती है.



इस अवसर पर महावीर जैन, महेश मीणा, ललित कुमावत, रोहित पालीवाल आदि ने भी तालाब को पुनर्जीवित कर इसमें गिरने वाले प्राकृतिक नालों को अतिकर्मियों से मुक्त करा पानी का समुचित बहाव बनाए रखने की बात कही.