हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आसमान से बरस रही आफत ने लोगों की नींदें उड़ा दी हैं। दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने तबाही का तांडव मचा रखा है। सोमवार सुबह शिमला के भट्टाकुफर स्थित माठू कॉलोनी में एक पांच मंजिला आलीशान इमारत ताश के पत्तों की तरह भरभराकर जमींदोज हो गई।
चमत्कार से बची कई जिंदगियां!
इस खौफनाक हादसे में सबसे बड़ी राहत की बात ये रही कि किसी की जान नहीं गई। बताया जा रहा है कि इमारत में बड़ी-बड़ी दरारें पहले ही पड़ चुकी थीं और बीती रात ही सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। वरना ये हादसा दर्जनों लोगों की ज़िंदगी लील सकता था।
फोरलेन का निर्माण बना खतरा!
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस तबाही के पीछे फोरलेन निर्माण कंपनी की लापरवाही जिम्मेदार है। भवन के नीचे खुदाई के कारण जमीन खिसकने लगी थी और इसी के चलते इमारत में दरारें पड़ती गईं। ग्राम पंचायत चमियाना के उप-प्रधान यशपाल वर्मा ने चेतावनी दी थी, मगर कंपनी ने चेतावनियों को हवा में उड़ा दिया।
अब हालात ऐसे हैं कि आस-पास की कई इमारतें भी मौत के साये में खड़ी हैं। डर का माहौल है, लोग रातें छतों के नीचे नहीं, खुले में काट रहे हैं। कई परिवारों ने खुद ही अपने घर खाली कर दिए हैं।
प्रशासन और कंपनी पर बरसे लोग
स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा – उन्होंने फोरलेन निर्माण कंपनी और प्रशासन पर भारी लापरवाही और अनदेखी के आरोप लगाए हैं। लोगों का कहना है कि बार-बार चेताने के बावजूद न तो सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम किए गए, न ही किसी ने समस्या को गंभीरता से लिया।
प्रभावितों ने कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है और अपने घरों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है। प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और प्रभावितों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है।
रामपुर में फटा बादल, मची तबाही – बह गईं जिंदगियां, उजड़ गए घर
वहीं दूसरी तरफ, शिमला जिले के रामपुर इलाके से एक और दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। सोमवार तड़के करीब 3 बजे सरपारा ग्राम पंचायत के सिक्कासरी गांव में बादल फट गया, जिससे पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई।
बाढ़ में बह गया मकान, मवेशी और उम्मीदें!
स्थानीय निवासी राजेंद्र कुमार का मकान बाढ़ की चपेट में आ गया। मकान का एक कमरा और किचन पूरी तरह ढह गया और पानी के तेज बहाव में बह गया। उनकी गौशाला में बंधी एक गाय और दो बछड़े भी बह गए।
राजेंद्र के भाइयों गोपाल और विनोद की गौशाला, अनाज गोदाम और खेत भी तबाह हो गए। लोगों का कहना है कि ये तबाही एक बार फिर उन्हें पिछले साल की त्रासदी की याद दिला गई, जब इसी इलाके में बादल फटने से 36 लोगों की मौत हुई थी।