भारत की मेडिकल कम्युनिटी को झटका तब लगा जब 39 वर्षीय कार्डियक सर्जन की अचानक वार्ड राउंड के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई। इस घटना ने युवा डॉक्टरों में बढ़ते हार्ट अटैक के चिंताजनक रुझान को उजागर किया है। डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर चेतावनी देते हुए कहा कि लंबे कार्य घंटे, लगातार तनाव, अनियमित जीवनशैली और खुद की सेहत की अनदेखी डॉक्टरों को भी खतरे के मुहाने पर ला रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी ओवरवर्क को हर साल लाखों मौतों से जोड़ा है। ऐसे में डॉक्टरों से अपील की जा रही है कि वे अपनी सेहत को प्राथमिकता दें।
यह एक कड़वा विडंबना था—देश के युवा जीवनरक्षक को वही बीमारी निगल गई जिसका वह इलाज करता था। 39 वर्षीय कार्डियक सर्जन डॉ. ग्रैडलिन रॉय वार्ड राउंड के दौरान अचानक गिर पड़े। सहयोगी डॉक्टरों ने उन्हें बचाने के लिए सीपीआर, स्टेंटिंग, इंट्रा-एऑर्टिक बलून पंप और यहां तक कि ईसीएमओ तक का सहारा लिया, लेकिन धमनियों में पूरी तरह से अवरोध के कारण हुए भारी कार्डियक अरेस्ट से हुई क्षति को पलटा नहीं जा सका। उनकी अचानक मौत ने पूरे मेडिकल समुदाय को झकझोर दिया है और वरिष्ठ डॉक्टरों ने इसे लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है।
लंबे और अनियमित कार्य घंटे नींद को प्रभावित करते हैं और शरीर की प्राकृतिक लय को तोड़ देते हैं।
लगातार जीवन-मृत्यु से जुड़े फैसले, मरीजों की उम्मीदें और मेडिको-लीगल दबाव तेज़ी से बर्नआउट बढ़ाते हैं।
घंटों तक ऑपरेशन थिएटर में खड़े रहना या क्लीनिक में बैठना, नियमित व्यायाम के लिए समय ही नहीं छोड़ता।
इसके साथ ही अनियमित भोजन, कैफीन पर आधारित डाइट, हेल्थ चेक-अप्स की अनदेखी और कुछ मामलों में धूम्रपान या शराब का सेवन, खतरे को और बढ़ा देते हैं।
मानसिक दबाव भी उतना ही गंभीर है। डॉक्टर अक्सर अवसाद, चिंता और भावनात्मक थकान से जूझते हैं, लेकिन मदद लेने से कतराते हैं। विडंबना यह है कि दूसरों की जान बचाने में लगे ये लोग अपनी ही सेहत और प्रिवेंटिव केयर की अनदेखी कर बैठते हैं।
- अपनी सेहत को उतनी ही प्राथमिकता दें, जितनी आप अपने मरीजों को देते हैं।
- ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच अनिवार्य होनी चाहिए।
- सात घंटे की नींद—चाहे वह बीच-बीच में टूटी हुई ही क्यों न हो—अत्यंत ज़रूरी है।
- रोज़ाना केवल 30 मिनट की तेज़ चाल से पैदल चलना या साइक्लिंग बड़ा फर्क ला सकता है।
- संतुलित आहार, योग या ध्यान जैसी तनाव प्रबंधन तकनीकें, और मज़बूत सहकर्मी सहयोग प्रणाली भी उतनी ही अहम हैं।
डॉ. सुधीर कुमार का सबसे ज़रूरी संदेश यही था: ना कहना सीखें। हर सर्जरी या कंसल्टेशन तुरंत जरूरी नहीं होती। कभी-कभी मरीज की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि डॉक्टर पहले अपनी सेहत की रक्षा करें।
केएमसी की डॉ. अदिति शर्मा ने भी एक्स पर इस मुद्दे को उठाया और कार्य परिस्थितियों में सुधार की मांग की, खासकर डॉ. गौरव गांधी और डॉ. ग्रैडलिन रॉय की अकाल मृत्यु के बाद।विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि लंबे कार्य घंटे स्ट्रोक का ख़तरा 35% और हृदय रोग का ख़तरा 17% तक बढ़ा देते हैं। 72% ऐसी मौतें पुरुषों में दर्ज की गईं, विशेषकर दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रों में।
मेडिकल समुदाय और विशेषज्ञों का सामूहिक संदेश स्पष्ट है: जो जीवन बचाते हैं, उनकी सेहत की रक्षा करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना मरीजों का इलाज करना।