Thursday, October 30, 2025
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मां चुपके से बेटी की किताबें पढ़ती थीं, 49 की उम्र में पास किया NEET एग्जाम, अब मां-बेटी दोनों बनेंगी डॉक्टर

49 वर्षीय मां अमुथावल्ली ने बेटी संग नीट पास कर रचा इतिहास, साबित किया — उम्र नहीं रोक सकती सपनों की उड़ान

नीट सक्सेस स्टोरी इन हिंदी: कहा जाता है कि सपनों को सच करने के लिए हिम्मत और जज़्बा चाहिए। जब मन में ऊंची उड़ान भरने का संकल्प हो, तो उम्र महज़ एक संख्या बन जाती है। तमिलनाडु के तेनकासी जिले की 49 वर्षीय अमुथावल्ली मणिवन्नन (Amuthavalli Manivannan) ने अपनी बेटी संयुक्था के साथ मिलकर NEET परीक्षा पास कर यह बात साबित कर दी। मां-बेटी की यह कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि उस अटूट उम्मीद की है जो कभी हार नहीं मानती। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा उन सभी के लिए मिसाल है जो अपने सपनों को पूरा करने का हौसला रखते हैं और दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

जब बेटी बनी प्रेरणा, तो मां ने फिर से अपने सपनों को पंख दिए

एक इंटरव्यू में अमुथावल्ली बताती हैं कि वह पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं। स्कूल के दिनों से ही उनका सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन जिम्मेदारियों और परिस्थितियों के चलते वह इसे पूरा नहीं कर सकीं। सालों बाद, जब उन्होंने अपनी बेटी संयुक्था को नीट परीक्षा की तैयारी करते देखा, तो उन्होंने खुद भी किताबें उठाईं और अपने अधूरे सपने को फिर से जीने का फैसला किया।

बेटी की किताबों से की पढ़ाई

अमुथावल्ली की बेटी सीबीएसई बोर्ड की छात्रा थी और कोचिंग क्लासेज के ज़रिए नीट की तैयारी कर रही थी। जब बेटी कोचिंग जाती, तो अमुथावल्ली उसकी किताबों से पढ़ाई करती थीं। धीरे-धीरे घरवालों को पता चला कि वह फिर से छात्रा की तरह मेहनत कर रही हैं, तो सभी ने उनका पूरा साथ देना शुरू कर दिया।

मां-बेटी ने मिलकर की तैयारी, बन गईं प्रेरणास्रोत

अमुथावल्ली के पति पेशे से वकील हैं और उन्होंने भी इस सफर में उनका पूरा साथ निभाया। जब मां-बेटी नीट की तैयारी में जुटी होतीं, तो वे भी उनके साथ बैठते थे। बेटी जब कोचिंग से लौटकर घर पर पढ़ाई करती, तो मां और बेटी एक-दूसरे की मदद करतीं। धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे की रिविजन पार्टनर बन गईं और साथ मिलकर अपने सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाया।

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वर्षों पहले देखा सपना… ऐसे हुआ पूरा

परीक्षा की तैयारी लगातार जारी रही, और जब इस साल नीट का पेपर हुआ, तो मां-बेटी की मेहनत आखिरकार रंग लाई। अमुथावल्ली ने NEET में 147 अंक हासिल किए और PwD (Persons with Benchmark Disability) कोटे के तहत MBBS सीट प्राप्त की। उन्हें अपने गृह जिले तेनकासी के पास स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज, विरुधुनगर में एडमिशन मिला। आज मां और बेटी ने अपनी लगन और हौसले से उस सपने को सच कर दिखाया, जो वर्षों पहले अमुथावल्ली ने देखा था।

मां की सफलता पर बेटी ने क्या कहा?

अमुथावल्ली की बेटी संयुक्था ने नीट परीक्षा में 450 अंक हासिल किए। सफलता के बाद उन्होंने अपने फैसले से सबका ध्यान खींचा। संयुक्था ने कहा कि वह अपनी मां के कॉलेज में नहीं, बल्कि जनरल कैटेगरी में एडमिशन लेना चाहती हैं। यह बात साबित करती है कि मां और बेटी दोनों ही आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और अपनी राह खुद तय करने वाली हैं।

पक्का इरादा हो तो कभी भी देर नहीं होती

अमुथावल्ली की कहानी सिर्फ एक परीक्षा में सफलता की नहीं, बल्कि उस जुनून और मेहनत की मिसाल है जो साबित करती है कि सपनों को पाने के लिए उम्र नहीं, हौसला मायने रखता है। उन्होंने दिखाया कि अगर ईमानदारी और समर्पण से आगे बढ़ा जाए, तो जिंदगी हर मोड़ पर अपने सपनों को पूरा करने का मौका देती है।

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