Sunday, December 28, 2025
No menu items!
HomeHindi newsविश्वविख्यात शिल्पग्राम उत्सव 21 दिसंबर से, लोककला-संस्कृति का होगा भव्य संगम, राज्यपाल...

विश्वविख्यात शिल्पग्राम उत्सव 21 दिसंबर से, लोककला-संस्कृति का होगा भव्य संगम, राज्यपाल श्री बागड़े करेंगे उद्घाटन

.केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री शेखावत और पंजाब के राज्यपाल श्री कटारिया भी रहेंगे मौजूद

.कोमल कोठारी पुरस्कार से नवाजे जाएंगे दो कलाकार

. पहले दिन दोपहर 3 बजे से प्रवेश निःशुल्क

उदयपुर, 19 दिसंबर। लेकसिटी में आयोजित होने वाले और दुनिया भर में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके लोककलाओं के महासंगम शिल्पग्राम उत्सव की शुरुआत रविवार 21 दिसंबर को होगी। राजस्थान के राज्यपाल एवं पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के अध्यक्ष हरिभाऊ किसनराव बागड़े नगाड़ा बजाकर उत्सव के उद्घाटन की घोषणा करेंगे।

शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे। अतिविशिष्ट आमंत्रित अतिथि के रूप में पंजाब के माननीय राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया भी समारोह में शिरकत करेंगे।

उद्घाटन समारोह में उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, चित्तौड़गढ़ सांसद श्री सी. पी. जोशी, राज्यसभा सांसद श्री चुन्नीलाल गरासिया, उदयपुर शहर विधायक श्री ताराचंद जैन तथा उदयपुर ग्रामीण विधायक श्री फूलचंद मीणा भी मौजूद रहेंगे।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि मूल रूप से लोक कलाओं की प्रस्तुतियों के लिए पहचाने जाने वाले इस उत्सव में देशभर की उत्कृष्ट लोक कलाओं का प्रदर्शन होगा। उदयपुर का शिल्पग्राम उत्सव संभवतः देश का अकेला ऐसा उत्सव है, जिसमें लोक कलाओं पर आधारित प्रस्तुतियों के साथ दर्शक इतने उत्साह से जुड़ते हैं। उन्होंने बताया कि उत्सव के प्रथम दिवस रविवार को दोपहर 3 बजे से प्रवेश निःशुल्क रहेगा।

डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट लोक कला पुरस्कार

निदेशक खान ने बताया कि इस वर्ष डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट लोक कला पुरस्कार राजकोट (गुजरात) के डॉ. निरंजन वल्लभभाई राज्यगुरु तथा जयपुर (राजस्थान) के श्री रामनाथ चौधरी को प्रदान किया जाएगा। इस पुरस्कार के अंतर्गत प्रत्येक कलाकार को एक रजत पट्टिका के साथ 2.51 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र लोक कला के क्षेत्र में यह पुरस्कार प्रारंभ करने वाला पहला केंद्र है। यह सम्मान राजस्थान के प्रसिद्ध कला मर्मज्ञ पद्मश्री डॉ. कोमल कोठारी की स्मृति में दिया जाता है।

22 राज्यों के करीब 900 लोक कलाकार होंगे शामिल

उत्सव में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, असम, मेघालय, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मणिपुर, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और दादरा नगर हवेली सहित 22 राज्यों के करीब 900 लोक कलाकार भाग लेंगे।

दस दिवसीय उत्सव में लगभग 91 आर्टिस्ट ग्रुप्स द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों की 82 लोक कलाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। शिल्पग्राम में बने थड़ों पर बहरूपिया, कच्ची घोड़ी, कच्छी लोक गायन, राठवा, सुंदरी वादन, अल्गोजा वादन, गवरी, मशक वादन, मांगणियार, चकरी, तेरह ताल, कालबेलिया सहित अनेक लोक कलाएं दिनभर प्रस्तुत की जाएंगी। प्रयास रहेगा कि प्रतिदिन नई प्रस्तुतियां दर्शकों को देखने को मिलें।

पत्थरों में तराशे गए स्कल्पचर होंगे आकर्षण का केंद्र

उत्सव में पत्थरों में तराशे गए 12 विशेष स्कल्पचर दर्शकों के लिए प्रमुख आकर्षण रहेंगे। इनमें पुराना कैमरा, पुराना टेलीफोन, भाप का इंजन, लोमड़ी, बैगपाइप, रीढ़ की हड्डी, रेडियो, बल्ब, बूट, पर्दे से निहारते चेहरे, वायलिन और किताब शामिल हैं। ये स्कल्पचर देश के युवा मूर्तिकारों द्वारा विशेष रूप से शिल्पग्राम उत्सव के लिए बनाए गए हैं।

इसके अतिरिक्त पूर्व में तराशे गए वाद्य यंत्रों एवं 12 राशियों के प्रतीक चिह्न भी प्रदर्शित किए जाएंगे। राजस्थानी वेशभूषा में घूमर नृत्य करते हुए विभिन्न मुद्राओं के 12 पुतले भी दर्शकों को आकर्षित करेंगे, जिनका निर्माण बंगाल से बुलाए गए कारीगरों द्वारा किया गया है।

मिनिएचर मॉडल और फोटोग्राफी प्रदर्शनी भी रहेंगी खास

संगम हॉल में शिल्पग्राम एवं शिल्पग्राम उत्सव विषयक फोटोग्राफी प्रतियोगिता में चयनित फोटोग्राफ्स, वर्षभर आयोजित कार्यशालाओं एवं शिविरों में बनी पेंटिंग्स तथा हाजी सरदार मोहम्मद द्वारा निर्मित सहेलियों की बाड़ी, सज्जनगढ़, फतेहसागर पाल, घंटाघर आदि के मिनिएचर मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे।

शिल्पग्राम के मुख्य द्वार को राजस्थान की सहरिया जनजाति की चित्रकारी से सजाया गया है, वहीं पूरे परिसर को मांडणे और शाही सवारी की थीम पर सजाया गया है।

‘हिवड़ा री हुक’ कार्यक्रम युवाओं को करेगा आकर्षित

22 से 29 दिसंबर तक ‘हिवड़ा री हुक’ कार्यक्रम बंजारा मंच पर प्रतिदिन दोपहर 1 से 4 बजे तक आयोजित होगा। इसमें दर्शक अपनी प्रस्तुतियां दे सकेंगे तथा सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों को शिल्पग्राम स्मृति-चिह्न प्रदान किया जाएगा।

इसके साथ ही दस दिवसीय ट्राइबल मास्क, पेपरमैशी एवं कठपुतली कार्यशालाएं आयोजित होंगी। 21 से 25 दिसंबर तक ‘विजन भारत 2047’ थीम पर पांच दिवसीय नेशनल पेंटिंग सिम्पोजियम भी होगा, जिसमें देश के 15 नामचीन वरिष्ठ एवं पद्मश्री कलाकार भाग लेंगे।

प्रथम दिवस की विशेष प्रस्तुतियां

उत्सव के पहले दिन राजस्थानीi गीतों पर आधारित मेडले की प्रस्तुति डॉ. प्रेम भंडारी के निर्देशन में उनके दल द्वारा दी जाएगी। लोक गायन की मूल शैली को शास्त्रीय अंदाज़ में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके साथ ही महाराष्ट्र की लावणी और कथक का विशेष संयोजन प्रस्तुत होगा।

14 राज्यों के लगभग 200 कलाकारों द्वारा एक कोरियोग्राफ नृत्य भी प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे प्रसिद्ध कोरियोग्राफर सुशील शर्मा द्वारा तैयार किया जा रहा है। प्रतिदिन शाम 6 बजे से मुख्य मंच पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

हर दिन कुछ नया देखने को मिलेगा

निदेशक खान ने बताया कि मुख्य मंच के साथ-साथ अन्य मंचों पर भी प्रतिदिन नई प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी। इनमें पंडवानी गायन, बाउल प्रस्तुति, नगाड़ा वादन तथा अंतिम दो दिनों में ‘झंकार’ नामक विशेष प्रस्तुति शामिल है।

उत्सव में लगभग 400 क्राफ्ट स्टॉल्स लगेंगी, जिनमें करीब दो दर्जन राज्यों के 800 शिल्पकार और कारीगर अपने उत्पादों का विक्रय करेंगे। जोधपुर ऊन बोर्ड, कोलकाता जूट बोर्ड और ट्राइफेड की ओर से भी स्टॉल्स लगाई जाएंगी।

चार फूड जोन और शिल्प डेमो होंगे खास

दर्शकों के लिए चार फूड जोन बनाए गए हैं, जहां लगभग 12 राज्यों के व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकेगा। कारीगरी के प्रदर्शन के लिए एयरो शिल्प कारीगर मौके पर ही डेमो देंगे। सालावास की दरियां, पहू शॉल, कोटा डोरिया, कश्मीरी बुनाई, मोलेला की मिट्टी शिल्प और लाख की चूड़ियां बनाने की प्रक्रिया भी दर्शाई जाएगी।

लोक कला पर बनी डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन

उत्सव के दौरान विभिन्न स्थानों पर स्क्रीन लगाकर पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा लोक कला और शिल्प पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया जाएगा। इसका उद्देश्य समृद्ध लोक विरासत के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

मेले का संपूर्ण एंबिएंस लोक कला और राजस्थान की हवेली थीम पर सजाया जा रहा है, जिसमें बंगाल के कारीगर मुख्य मंच का बैकड्रॉप और प्रवेश द्वार तैयार कर रहे हैं।

Also Read: जिला स्तरीय युवा महोत्सव का आयोजन 22 दिसंबर को

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular