प्रयागराज में महाकुंभ के तीनों अमृत स्नान के बाद भी श्रद्धालुओं का जनसैलाब लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात यह हैं कि प्रयागराज से सटे जिलों—प्रतापगढ़, जौनपुर, मिर्जापुर, कौशांबी, सुल्तानपुर और भदोही—के साथ मध्य प्रदेश की रीवा सीमा पर भारी भीड़ के कारण अघोषित नाकेबंदी करनी पड़ रही है। सड़कों पर 20 से 40 किलोमीटर तक गाड़ियों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं।
मौनी अमावस्या के बाद भी हर दिन एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम पहुंचकर स्नान कर रहे हैं। अब 12 फरवरी, बुधवार को होने वाला माघी पूर्णिमा स्नान प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। इसी के चलते लखनऊ से एडीजी कानून व्यवस्था अमिताभ यश समेत कई आईएएस और पीसीएस अधिकारियों को प्रयागराज भेजा गया है।
अगर पिछले कुंभ मेलों की तुलना करें, तो बसंत पंचमी के बाद ज्यादातर स्थानीय लोग ही स्नान के लिए आते थे, लेकिन इस बार हालात अलग हैं। 144 साल बाद महाकुंभ के पुण्य योग के प्रभाव को भी इसका एक बड़ा कारण माना जा रहा है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि बसंत पंचमी के बाद भी भीड़ नियंत्रण के वही नियम लागू करने पड़ रहे हैं, जो आमतौर पर मौनी अमावस्या जैसे सबसे बड़े स्नान पर्व के लिए होते हैं।
मेला क्षेत्र की हर सड़क सुबह चार बजे से संगम की ओर बढ़ते श्रद्धालुओं से भरी रहती है। सुबह छह से आठ बजे के बीच संगम नोज पूरी तरह से भर जाता है, जिसके बाद यातायात को नियंत्रित करने के लिए डायवर्जन लागू करना पड़ता है। श्रद्धालुओं को सीधे संगम न भेजकर दारागंज दशाश्वमेध, नागवासुकी, काली और रामघाट जैसे वैकल्पिक स्नान घाटों की ओर मोड़ा जा रहा है।
सोमवार को श्रद्धालुओं की संख्या ने पार किया 1 करोड़ का आंकड़ा
- सुबह 8 बजे तक: 64.19 लाख
- सुबह 10 बजे तक: 63.75 लाख
- दोपहर 12 बजे तक: 73.26 लाख
- दोपहर 2 बजे तक: 82.97 लाख
- शाम 4 बजे तक: 1.02 करोड़
- शाम 6 बजे तक: 1.10 करोड़
महाकुंभ 2025: श्रद्धालुओं की अपार भीड़ के 5 प्रमुख कारण
1. बेहतर कनेक्टिविटी से आसान यात्रा
इस बार महाकुंभ में उम्मीद से ज्यादा श्रद्धालु इसलिए भी पहुंच रहे हैं क्योंकि रेल, सड़क और हवाई मार्ग की कनेक्टिविटी पहले से कहीं अधिक सुगम हो गई है। अब दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों से भी लोग अपनी गाड़ियों से सीधे प्रयागराज पहुंच रहे हैं।
2. डिजिटल प्रचार और जागरूकता
सोशल मीडिया, टीवी, रेडियो और अखबारों के माध्यम से महाकुंभ का प्रचार व्यापक स्तर पर किया गया। इससे देश-विदेश के लोग इस महायोजना के प्रति जागरूक हुए और उन्होंने इसे जीवन का महत्वपूर्ण अवसर मानते हुए प्रयागराज आने का निर्णय लिया।
3. आध्यात्मिक महत्व और बेहतर सुविधाएं
12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन हुआ है, और इस बार माघ स्नान के आध्यात्मिक महत्व को समझते हुए अधिक लोग संगम में स्नान करने आ रहे हैं। इसके अलावा, संगम किनारे टेंट सिटी और अत्याधुनिक सुविधाएं होने से श्रद्धालुओं के लिए ठहरने और रहने की व्यवस्था भी बेहतर हो गई है।
4. ज्योतिषीय संयोग और दुर्लभ पुण्य योग
144 साल बाद ऐसा दुर्लभ खगोलीय संयोग बन रहा है, जो समुद्र मंथन के समय बना था। माघी पूर्णिमा के दिन ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति के कारण इस बार कुंभ स्नान का पुण्यफल कई गुना बढ़ गया है, जिससे लोग अधिक संख्या में संगम की ओर खिंचे चले आ रहे हैं।
5. वैश्विक स्तर पर महाकुंभ की चर्चा
महाकुंभ सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया की भी सुर्खियों में है। दुनिया भर के कई प्रसिद्ध लोग और विदेशी हस्तियां इस महायोजना में भाग ले रही हैं। इसके चलते विदेशों में भी इसकी चर्चा हो रही है, जिससे अधिक लोग यहां आने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
👉 क्या यह अभूतपूर्व भीड़ प्रशासन के लिए चुनौती बन रही है?
इस ऐतिहासिक आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे ट्रैफिक और व्यवस्थाओं पर दबाव पड़ रहा है। लेकिन यूपी पुलिस और प्रशासन पूरी मुस्तैदी से इस चुनौती को संभाल रहा है, जिससे यह आयोजन एक ऐतिहासिक सफलता की ओर बढ़ रहा है।