हाल ही में ब्राह्मण समुदाय को लेकर दिए गए एक बयान के बाद अनुराग कश्यप विवादों में आ गए हैं। इस बयान के चलते उन्हें देशभर में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अनुराग कश्यप खुद किस जाति से आते हैं
बॉलीवुड के चर्चित फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं। अपनी इसी स्पष्टवादिता के चलते वे अक्सर चर्चाओं और विवादों में बने रहते हैं। हाल ही में, वह फिर से सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने निर्देशक अनंत महादेवन की आने वाली फिल्म फुले पर सेंसर बोर्ड की आपत्तियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्ज कराया। इस दौरान उन्होंने ब्राह्मण समुदाय को लेकर एक विवादास्पद टिप्पणी कर दी, जिसके चलते देशभर में उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ रहा है और उनके खिलाफ कई पुलिस शिकायतें भी दर्ज हो चुकी हैं।
अनुराग कश्यप की जाति क्या है
अनुराग कश्यप उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्मे एक कायस्थ परिवार से संबंध रखते हैं। उनका जन्म 10 सितंबर 1972 को हुआ था। उनके पिता प्रकाश सिंह यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में मुख्य अभियंता के पद पर कार्यरत थे। हालांकि अनुराग ने कभी सार्वजनिक रूप से अपनी जाति को लेकर ज्यादा बात नहीं की, लेकिन साल 2018 में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान उन्होंने बताया था कि उन्होंने अपने नाम से ‘सिंह’ सरनेम हटा लिया है।
क्यों हटाया अनुराग ने ‘सिंह’ सरनेम
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अनुराग ने बताया था कि उनके पिता ने आपातकाल के दौरान ‘सिंह’ सरनेम हटाकर ‘कश्यप’ रख लिया था। उस समय ‘सिंह’ सरनेम से लोगों को कुछ विशेष परिस्थितियों में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, और उनके पिता ने यह बदलाव सुरक्षा की दृष्टि से किया था। अनुराग ने यह भी बताया था कि 1978 तक उनका असली नाम ‘रिंकू सिंह’ था।
विवादित टिप्पणी और माफ़ी
फुले फिल्म पर सेंसर बोर्ड की एडिटिंग को लेकर नाराज़ अनुराग कश्यप ने सोशल मीडिया पर एक बयान में ब्राह्मण समुदाय को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसके बाद उन्हें तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा। बाद में उन्होंने इंस्टाग्राम पर सफाई देते हुए लिखा,
“यह मेरी माफ़ी है, मेरी पोस्ट के लिए नहीं, बल्कि उस एक पंक्ति के लिए जिसे संदर्भ से बाहर लिया गया और जो नफरत फैला रही है।”
शिकायतें और कानूनी कार्रवाइयाँ
अनुराग कश्यप के खिलाफ देश के कई हिस्सों में शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। सबसे पहले मुंबई में अधिवक्ता आशीष राय ने शिकायत की, उसके बाद इंदौर और फिर जयपुर में ब्राह्मण संगठनों द्वारा एफआईआर दर्ज की गई।