Thursday, September 11, 2025
No menu items!
HomeHindi newsपाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम भारत के सामने फेल, दुश्मनों के लिए कहर...

पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम भारत के सामने फेल, दुश्मनों के लिए कहर बना S-400

“पाकिस्तान की एयर डिफेंस का प्रमुख आधार चीन निर्मित HQ-9 मिसाइल सिस्टम है, जिसकी मूल रेंज 120 किलोमीटर है, जबकि इसके उन्नत संस्करण की पहुंच 300 किलोमीटर तक मानी जाती है।”

भारत के पास आधुनिक और विविधतापूर्ण वायु रक्षा प्रणाली मौजूद है, जिसमें रूसी, इजरायली और स्वदेशी तकनीक की मिसाइलें शामिल हैं। यह प्रणाली पाकिस्तान की तुलना में तकनीकी रूप से कहीं अधिक सक्षम मानी जाती है। पाकिस्तान जहां अधिकतर चीनी सप्लाई पर निर्भर करता है, वहीं भारत के पास रूस से आयातित अत्याधुनिक S-400 जैसे सिस्टम हैं, जो सतह से हवा में मार करने में सक्षम हैं। S-400 की मदद से भारत 380 किलोमीटर दूर तक दुश्मन के रणनीतिक बमवर्षकों, फाइटर जेट्स, निगरानी विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को पहचान कर नष्ट कर सकता है। इसके साथ ही भारत के पास Igla-S जैसी कंधे से दागी जाने वाली मिसाइलें भी हैं, जिनकी प्रभावी रेंज 6 किलोमीटर है।”

“पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली का प्रमुख आधार चीनी मूल की HQ-9 मिसाइल है, जिसकी मूल रेंज लगभग 120 किलोमीटर है। इसके उन्नत संस्करण की मारक क्षमता बढ़कर 300 किलोमीटर तक पहुंच जाती है। इसके अलावा पाकिस्तान के पास फ्रांसीसी तकनीक पर आधारित Spada एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम भी है, जिसकी रेंज 20 से 25 किलोमीटर के बीच है। यह प्रणाली वायुसेना ठिकानों और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा के लिए प्रयोग की जाती है।”

S-400: भारत की वायु रक्षा का गेम चेंजर

एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी, “S-400 प्रणाली में चार अलग-अलग रेंज की मिसाइलें—120, 200, 250 और 380 किलोमीटर—शामिल हैं, जो इसे चीनी मूल की HQ-9 प्रणाली से कहीं अधिक प्रभावशाली बनाती हैं। यह प्रणाली हमारी वायु रक्षा कवरेज का अहम हिस्सा बन चुकी है और इसे भारतीय वायुसेना की एकीकृत वायु कमान एवं नियंत्रण प्रणाली (IACCS) में पूरी तरह एकीकृत कर दिया गया है।”

भारत ने 2018 में रूस के साथ 5.4 अरब डॉलर (लगभग 40,000 करोड़ रुपये) का अनुबंध किया था, जिसके तहत अब तक तीन S-400 स्क्वाड्रन उत्तर-पश्चिम और पूर्वी सेक्टरों में तैनात किए जा चुके हैं। इससे भारत ने चीन और पाकिस्तान दोनों सीमाओं पर अपनी सुरक्षा को मजबूती दी है। हालांकि, शेष दो स्क्वाड्रनों की आपूर्ति रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते विलंबित हो गई है, और अब इनके 2026-27 तक मिलने की संभावना है।

IACCS: अब सैन्य और नागरिक रडारों का भी हो रहा एकीकरण

पूरी तरह स्वचालित इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) नेटवर्क, जो पहले से ही विभिन्न रडार और हथियार प्रणालियों को जोड़ता है, अब धीरे-धीरे सैन्य के साथ-साथ नागरिक रडारों को भी एकीकृत कर रहा है। एक अधिकारी के अनुसार, “नई प्रणाली के तहत वायुसेना और थलसेना के रडार डेटा को जोड़ते हुए एक समेकित और रीयल-टाइम एयर पिक्चर तैयार की जा रही है, जिसे सभी वायु रक्षा केंद्रों में साझा किया जा रहा है।”

पहले से मौजूद मिसाइलें

भारत की मल्टी-लेयर एयर डिफेंस शील्ड में शामिल प्रमुख सिस्टम
  • बराक-8 (Barak-8): मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली MR-SAM प्रणाली, जिसकी रेंज 70 किलोमीटर से अधिक है। इसे भारत और इज़रायल ने संयुक्त रूप से विकसित किया है और यह भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना—तीनों में शामिल की जा चुकी है।
  • आकाश मिसाइल प्रणाली: पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित यह मिसाइल प्रणाली 25 किलोमीटर की रेंज में प्रभावी है। इसकी विश्वसनीयता को देखते हुए इसे कुछ अन्य देशों को निर्यात भी किया जा रहा है।
  • स्पाइडर (Spyder): इज़रायली त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली, जिसकी रेंज लगभग 15 किलोमीटर है। इसे कम दूरी की खतरों से निपटने के लिए तैनात किया गया है।
  • अन्य प्रणालियां: पुराने लेकिन अब भी सक्रिय रूसी मूल के सिस्टम जैसे Pechora, OSA-AK-M और L-70 भारतीय वायु रक्षा का हिस्सा बने हुए हैं। इसके अतिरिक्त, DRDO द्वारा विकसित VSHORADS (Very Short Range Air Defence System), जिसकी रेंज 6 किलोमीटर तक है, का परीक्षण भी प्रगति पर है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular