Thursday, September 11, 2025
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इकलौते बेटे को खोने का दर्द… बेंगलुरु भगदड़ के बाद पिता की भावनात्मक चीख ने दिलों को झकझोर दिया।

बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आरसीबी की ऐतिहासिक जीत का जश्न अचानक भयावह हादसे में बदल गया, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई। इस त्रासदी के बीच, एक असहाय पिता अपने इकलौते बेटे का शव लौटाने की गुहार लगा रहा है, पोस्टमार्टम न कराने की मार्मिक अपील कर रहा है।

हाइलाइट्स

  • बेंगलुरु में आईपीएल जीत का जश्न बना भयावह हादसा!
  • चिन्नास्वामी स्टेडियम में मची भगदड़, 11 लोगों की दर्दनाक मौत
  • कई घायल, अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग जारी
  • मुख्यमंत्री ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए

बेंगलुरु की भगदड़: इकलौते बेटे को खोने की पिता की मार्मिक पुकार

“मेरा एक ही बेटा था… अब वो भी नहीं रहा… कृपया उसका शव मुझे लौटा दो, पोस्टमार्टम मत करो…”—ये शब्द उस पिता के हैं, जिसने चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ में अपने इकलौते बेटे को खो दिया।

बीते मंगलवार की शाम, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की पहली आईपीएल जीत का जश्न मनाने के लिए हजारों प्रशंसक स्टेडियम के बाहर उमड़ पड़े। मगर जोश और उत्साह का यह समंदर अचानक अफरा-तफरी में बदल गया। भगदड़ के कारण 11 क्रिकेट प्रेमियों की जान चली गई, दर्जनों घायल हो गए, और न जाने कितने परिवारों के सपने चकनाचूर हो गए।

यह हादसा न केवल जीत के जश्न को गमगीन कर गया, बल्कि सुरक्षा व्यवस्थाओं की गंभीर खामियों को भी उजागर कर गया।

बेबस पिता बार-बार अधिकारियों से गुहार लगाता रहा—’मुझे मेरा बेटा लौटा दो, कम से कम उसे चैन से दफनाने दो।’ वह बिना बताए इस जश्न का हिस्सा बनने आया था, लेकिन अब कुछ भी नहीं बचा। मुख्यमंत्री हों या उपमुख्यमंत्री, कोई भी अब उसे वापस नहीं ला सकता। टूटे हुए दिल से निकली यह चीखें पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर रही थीं।

कैसे मची भगदड़?

हजारों की भीड़, अव्यवस्थित सुरक्षा इंतजाम, और फ्री एंट्री ने एक ऐतिहासिक जीत के पल को भयानक हादसे में बदल दिया। जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ, बेकाबू प्रशंसकों ने स्टेडियम के तंग प्रवेश द्वारों को पार करने की कोशिश की, जिससे भगदड़ मच गई।

शाम 5 बजे तक स्थिति गंभीर हो चुकी थी। अस्पतालों में अफरा-तफरी का माहौल था—घायल और बेहोश लोग स्ट्रेचर पर ले जाए जा रहे थे। आंखों में जीत के सपने लेकर आए युवा अब फर्श पर दर्द से तड़प रहे थे, और कुछ की सांसें हमेशा के लिए थम गईं।

यह हादसा न केवल जश्न को मातम में बदल गया, बल्कि सुरक्षा प्रबंधन की बड़ी चूक को भी उजागर कर गया।

जांच के आदेश: हादसे के बाद ग़म, ग़ुस्सा और सवाल

सुबह होते ही सभी शवों का पोस्टमार्टम पूरा कर परिजनों को सौंप दिया गया। लेकिन अपनों को खोने वाले माता-पिता, भाई-बहन और साथी गहरे सदमे और आक्रोश से भर गए थे। इस भयावह घटना पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जांच के आदेश जारी कर दिए, और आश्वासन दिया कि 15 दिनों में रिपोर्ट पेश की जाएगी।

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने सफाई देते हुए कहा कि आयोजकों ने कार्यक्रम को छोटा रखने की भरसक कोशिश की, लेकिन इतनी बड़ी और उत्साही भीड़ पर नियंत्रण करना मुश्किल था। उन्होंने बताया कि लाठीचार्ज कर भीड़ को रोकना विकल्प नहीं था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस त्रासदी पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपनों को खोया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल जल्द स्वस्थ हों।”

लेकिन इन संवेदनाओं और आश्वासनों के बीच, वो पिता अब भी बेसुध बैठा था। उसकी आंखों में एक ही सवाल था— “क्या मेरी पुकार किसी ने सुनी?

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