Thursday, September 11, 2025
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इजरायल-ईरान युद्ध अगर बढ़ा, तो भारत में इन 5 चीजों के दाम छू सकते हैं आसमान — काजू से लेकर तेल तक सब पर असर…

इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव केवल मध्य-पूर्व तक सीमित नहीं है — इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर देखने को मिल रहा है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। मौजूदा हालात ने अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल बाजार को हिला दिया है। ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगभग 11% की तेजी दर्ज की गई है, जिससे यह 75.32 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हालात नहीं संभले, तो यह कीमत 120 डॉलर तक जा सकती है।

भारत अपनी 85% तेल आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर करता है। ऐसे में तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी घरेलू स्तर पर महंगाई को बढ़ावा दे सकती है। इसके अतिरिक्त, रणनीतिक रूप से अहम होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे मार्गों पर खतरे से आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है, जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

इन 7 चीजों पर बढ़ सकता है महंगाई का दबाव:

  1. ईंधन (पेट्रोल-डीजल):
    तेल की कीमतों में हर 10 डॉलर की बढ़त खुदरा महंगाई को 0.5% तक बढ़ा सकती है। इससे ट्रांसपोर्ट महंगा होगा और सभी सेक्टर्स प्रभावित होंगे।
  2. रसोई गैस (LPG):
    अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल महंगा होने से घरेलू गैस की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, जिससे आम जनता की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।
  3. खाद्य तेल:
    भारत खाद्य तेलों का बड़ा हिस्सा आयात करता है। आपूर्ति बाधित होने से सरसों, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तेल महंगे हो सकते हैं।
  4. चावल:
    समुद्री मार्गों में असुरक्षा के कारण भारत से होने वाला चावल निर्यात बाधित हो रहा है। इसका असर घरेलू आपूर्ति और कीमतों पर पड़ सकता है।
  5. सूखे मेवे:
    ईरान से भारत में आने वाले मेवे जैसे बादाम, पिस्ता और अखरोट की आपूर्ति घट सकती है, जिससे इनकी कीमतें आसमान छू सकती हैं।
  6. ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स:
    महंगे ईंधन से ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री पर असर पड़ेगा, जो वस्तुओं की कीमतों को और बढ़ा सकता है।
  7. अनाज और दालें:
    जब परिवहन और आयात महंगा होता है, तो इससे अन्य जरूरी चीजों की कीमतें भी प्रभावित होती हैं।

भारत-ईरान व्यापार संबंध और प्रमुख आयात:

भारत और ईरान के बीच व्यापारिक रिश्ते खासकर कृषि, ऊर्जा और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में गहरे हैं। मार्च 2025 में भारत ने ईरान से करीब 43 मिलियन डॉलर मूल्य की वस्तुएं मंगाईं, जिनमें शामिल हैं:

  • जैविक और औद्योगिक रसायन
  • खाद्य फल व मेवे
  • खनिज ईंधन व कच्चा तेल
  • सीमेंट, चूना, पत्थर व नमक
  • प्लास्टिक व उससे बने उत्पाद
  • लोहे और स्टील की सामग्री
  • प्राकृतिक गोंद और रेजिन

भारत की रणनीतिक तैयारी:

सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में जोखिम को कम करने के लिए रूस, ब्राजील और गुयाना जैसे देशों से तेल आयात बढ़ाया है। पेट्रोलियम मंत्रालय हालात पर बारीकी से नजर रखे हुए है और रणनीतिक तेल भंडार तैयार किया जा रहा है। फिर भी, अगर यह संघर्ष लंबे समय तक जारी रहता है, तो भारत को महंगाई और रुपये पर दबाव जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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