9 दिन, 84 फ्लाइट्स रद्द: एअर इंडिया की सेवाओं पर संकट, यात्रियों में बढ़ती बेचैनी
देश की प्रमुख एयरलाइन एअर इंडिया इन दिनों गंभीर संचालन संकट से जूझ रही है। अहमदाबाद में 12 जून को हुए विमान हादसे के बाद से कंपनी की उड़ानों में भारी अव्यवस्था देखी जा रही है। महज 9 दिनों में 84 फ्लाइट्स रद्द हो चुकी हैं, जिनमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों रूट शामिल हैं। यात्रियों की परेशानी चरम पर है, और सवाल भी उतने ही गहरे हैं।
शुक्रवार को भी एअर इंडिया की 9 उड़ानें अचानक रद्द कर दी गईं, जिससे यात्री न केवल गंतव्य तक नहीं पहुंच सके, बल्कि उन्हें अंतिम समय पर वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं मिल पाई।
कंपनी की सफाई: मेंटेनेंस और ऑपरेशनल रीजन
एअर इंडिया की ओर से दिए गए बयानों में तकनीकी रखरखाव और संचालन संबंधी कारणों को इस भारी उड़ान कटौती के पीछे की वजह बताया गया है।
कंपनी का कहना है कि यह निर्णय “शेड्यूल स्थिरता” बनाए रखने और “यात्रियों को अंतिम समय की असुविधा से बचाने” के लिए लिया गया है।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर उड़ानों का रद्द होना सिर्फ रूटीन मेंटेनेंस का मामला नहीं हो सकता। सवाल उठते हैं कि क्या अहमदाबाद हादसे के बाद सुरक्षा को लेकर एअर इंडिया अचानक से अतिरिक्त सतर्क हो गई है, या फिर एअर इंडिया के पास संसाधनों की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है?
एअर इंडिया की आधिकारिक घोषणा
गुरुवार को एअर इंडिया ने बताया कि 21 जून से 15 जुलाई के बीच हर सप्ताह 38 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द किया जाएगा, और तीन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर सेवाएं पूरी तरह निलंबित रहेंगी।
निलंबित मार्ग हैं:
- दिल्ली-नैरोबी (प्रति सप्ताह 4 उड़ानें)
- अमृतसर-लंदन (गैटविक) (प्रति सप्ताह 3 उड़ानें)
- गोवा (मोपा)-लंदन (गैटविक) (प्रति सप्ताह 3 उड़ानें)
इसके अतिरिक्त, उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और सुदूर पूर्व के 18 अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर भी उड़ानों की संख्या में कटौती की जाएगी।
आज रद्द की गई उड़ानों की सूची
डोमेस्टिक फ्लाइट्स:
- पुणे से दिल्ली
- अहमदाबाद से दिल्ली
- हैदराबाद से मुंबई
- चेन्नई से मुंबई
इंटरनेशनल फ्लाइट्स:
- दुबई से चेन्नई
- दिल्ली से मेलबर्न
- मेलबर्न से दिल्ली
- दुबई से हैदराबाद
इसके अलावा, दिल्ली से पुणे जा रही एक फ्लाइट को उस समय कैंसिल कर दिया गया जब टेकऑफ के दौरान विमान से एक पक्षी टकरा गया और सुरक्षा कारणों से उसकी वापसी उड़ान रद्द करनी पड़ी।
यात्रियों का गुस्सा और सवाल
यात्रियों का कहना है कि फ्लाइट कैंसिलेशन की जानकारी उन्हें या तो अंतिम समय पर दी गई या बिल्कुल नहीं दी गई, जिससे वैकल्पिक व्यवस्था करना मुश्किल हो गया।
सोशल मीडिया पर यात्रियों का आक्रोश देखने को मिल रहा है—
- “प्लेन क्रैश के बाद अचानक मेंटेनेंस की याद क्यों आई?”
- “टाटा के अधिग्रहण के बाद एअर इंडिया की सेवाएं सुधरने के बजाय और क्यों बिगड़ी?”
- “क्या एअर इंडिया इस संकट को पहले से टाल सकती थी?”
विशेषज्ञों की राय: संकट सिर्फ मेंटेनेंस का नहीं
एविएशन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि केवल तकनीकी मेंटेनेंस या ऑपरेशनल रीजन की आड़ में इतनी बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द नहीं की जातीं।
यह संभव है कि कंपनी के पास फ्लीट प्रबंधन में कमी, क्रू शॉर्टेज, या तकनीकी स्टाफ की भारी कमी जैसी समस्याएं हैं, जिन्हें वह सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करना चाहती।
इसके साथ ही पश्चिम एशिया में हवाई क्षेत्र में प्रतिबंध के कारण रूट डायवर्जन और अतिरिक्त फ्लाइट ड्यूरेशन भी एक बड़ा कारण बताया गया है।
निष्कर्ष: संकट की घड़ी और भरोसे की परीक्षा
एअर इंडिया देश की राष्ट्रीय विमानन पहचान है, और लाखों लोग इसके जरिए यात्रा करते हैं। ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर उड़ानों का रद्द होना न केवल परिचालन पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि कंपनी की विश्वसनीयता पर भी असर डालता है।
अब देखना यह होगा कि एअर इंडिया इस संकट से कैसे उबरती है और यात्रियों के विश्वास को फिर से कायम कर पाती है या नहीं।