मुंबई की हाजी अली दरगाह पर अंगूठियां बेचने वाला जलालुद्दीन उर्फ छांगुर ने कब से हिंदुओं का धर्मांतरण कराने की साजिश रची? करोड़ों की दौलत का मालिक बना, ये राज़ अब ED की जांच में खुल रहा है.
धर्मांतरण का दलाल: पकी दाढ़ी, फकीरी लबादा, पर चालें खतरनाक – छांगुर उर्फ जलालुद्दीन की साजिश का काला सच
78 साल का ये शख्स बाहर से मासूम फकीर जैसा दिखे, पर असल में मास्टरमाइंड है एक बड़े मजहबी रैकेट का। आरोप है कि हिंदू लड़कियों को बहला-फुसला कर मुसलमान बनाने की साजिश का वो किंगपिन है। कभी सिंधी हिंदू रही नसरीन को भी पहले इसी ने फंसाया, फिर उससे नीतू से नसरीन बनवाकर उसे ही जाल में लड़कियों को लाने का हथियार बना लिया।
धर्मांतरण की ‘रेट लिस्ट’ भी तैयार थी
छांगुर ने हिंदू लड़कियों की जाति के हिसाब से रेट कार्ड बनाया था — जैसे होटल की रेट लिस्ट। ब्राह्मण या क्षत्रिय लड़की को इस्लाम कबूल कराने के लिए 15–16 लाख रुपये, OBC लड़की के लिए 10–12 लाख और SC-ST वर्ग की लड़की के लिए 8–10 लाख की दर तय थी।
3–4 हजार हिंदुओं की टारगेट लिस्ट
खुलासा हुआ है कि इस गैंग ने करीब 3–4 हजार हिंदुओं की लिस्ट बना रखी थी जिन्हें ‘सॉफ्ट टारगेट’ माना गया था। अब तक 40 से ज्यादा का धर्म बदलवाने का दावा है। यूपी ATS ने छांगुर और नसरीन समेत इस केस में 9 आरोपियों को नामजद किया, लेकिन फिलहाल 4 गिरफ्तार हुए हैं।
106 करोड़ की विदेशी फंडिंग का राज
ईडी की जांच में सामने आया कि मिडिल ईस्ट से छांगुर के पास 106 करोड़ रुपये आए, जो 40 अलग-अलग बैंक खातों में जमा हुए। इसी पैसों से उसने घर, दुकानें, स्कूल और धार्मिक संस्थाएं खड़ी कीं। FIR के मुताबिक, उसने कुछ सालों में 100 करोड़ से ज्यादा की अवैध संपत्ति बनाई।
दरगाह से खड़ा किया धर्मांतरण का नेटवर्क
मुंबई की हाजी अली दरगाह पर अंगूठियां बेचने से शुरू हुआ सफर दरगाह के पास बने अपने ठिकाने तक पहुंचा। यहीं से गरीब दलित हिंदुओं को चमत्कार का झांसा देकर फंसाया जाता था। बलरामपुर और आसपास भी छांगुर ने जलसे करवाए, जहां भीड़ इकट्ठा कर हिंदू धर्म छोड़ इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता था।
फिलहाल छांगुर और उसकी गैंग की करतूतें यूपी ATS और ED की रडार पर हैं, और धीरे-धीरे इसके पूरे रैकेट की परतें खुल रही हैं।