नाग पंचमी न सिर्फ धार्मिक परंपरा का पर्व है, बल्कि साधक के लिए अपनी आंतरिक साधना के द्वार खोलने का भी समय है। हमारे भीतर एक सुप्त शक्ति-नाग विद्यमान है, जिसे जागृत कर हम परम चेतना और ईश्वर अनुभव की ओर बढ़ सकते हैं। नाग पंचमी पर कुंडलिनी शक्ति के जागरण का विशेष महत्व माना गया है, जो हर व्यक्ति में गुप्त रूप से विद्यमान रहती है। यह दिन साधना और तंत्र के माध्यम से इस दिव्य ऊर्जा को सक्रिय करने का श्रेष्ठ अवसर है.
| 1. सर्प हमारे भीतर स्थित कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है 2. नाग देवताओं की पूजा से होता है ग्रह दोष शम 3. संतान बाधा मुक्ति के लिए नागों का पूजन आवश्यक |
कुंडलिनी को शास्त्रों में ‘सर्पाकार शक्ति’ कहा गया है, जो मूलाधार चक्र में सर्प की तरह कुंडली मारे सुप्त अवस्था में रहती है। जब यह शक्ति साधना, तप और तांत्रिक अभ्यासों से जागृत होती है, तो धीरे-धीरे सभी चक्रों को पार करते हुए साधक को पूर्ण चेतना, दिव्यता और अंततः मुक्ति की ओर ले जाती है। मुक्ति का अर्थ जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाकर मोक्ष प्राप्त करना है।
प्राचीन समय की तरह आज भी नाग पंचमी पर विशेष तांत्रिक साधनाओं का महत्व है। इस दिन नाग एवं कुंडलिनी से जुड़े मंत्र, यंत्र और ध्यान का अभ्यास किया जाता है। नाग पंचमी केवल सर्प पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि साधक के लिए कुंडलिनी शक्ति के जागरण का भी श्रेष्ठ समय माना जाता है।
‘नाग’ सिर्फ भौतिक जीव नहीं हैं, बल्कि वे उस चेतना की ऊर्ध्वगामी शक्ति का प्रतीक हैं, जो मूलाधार से सहस्रार तक यात्रा करती है। नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा वास्तव में भीतर स्थित उसी सुप्त कुंडलिनी शक्ति का पूजन है, जिसे जागृत कर हम अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर सकते हैं।
इस नाग पंचमी पर ध्यान, साधना और प्राचीन तांत्रिक श्वास तकनीकों के माध्यम से अपने भीतर की ऊर्जा को महसूस करें। यही आंतरिक जागरण असली शिवत्व की अनुभूति कराता है। तंत्र वह माध्यम है, जो दृश्य और अदृश्य को जोड़कर साधक को शक्ति और शिव के अद्वैत मिलन की अवस्था में ले जाता है।
कुंडलिनी तंत्र योग शरीर, मन और आत्मा तीनों स्तरों पर गहरा प्रभाव डालता है। जब कुंडलिनी जागृत होती है, तो व्यक्ति का अहंभाव मिटने लगता है और वह ब्रह्म चेतना को अनुभव करता है। लेकिन यह अत्यंत शक्तिशाली ऊर्जा है, जिसे बिना अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन के जागृत करने का प्रयास मानसिक और शारीरिक असंतुलन भी ला सकता है। इसलिए कुंडलिनी साधना हमेशा योग्य गुरु के सान्निध्य में ही करनी चाहिए।
नाग पंचमी पर नाग देवताओं की पूजा से कालसर्प दोष, राहु-केतु के अशुभ प्रभाव और पितृदोष जैसी समस्याओं का निवारण माना जाता है। संतान प्राप्ति में बाधा दूर करने के लिए भी इस दिन विधिवत नाग पूजा का विशेष महत्व है।
इस बार नाग पंचमी पर भीतर की सुप्त शक्ति को जागृत कर अपनी चेतना का विस्तार करें और अपने जीवन में नई ऊर्जा का संचार करें। 🌿✨
