सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को कड़ी नसीहत देते हुए कहा कि एक जिम्मेदार सांसद के रूप में आपको अपनी बातें सोशल मीडिया या सार्वजनिक रैलियों में कहने के बजाय संसद में उठानी चाहिए थीं।
बेंच ने सवाल किया कि जब आपके पास इतनी महत्वपूर्ण जानकारी थी कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है, तो इसे संसद में रखने से क्यों परहेज़ किया? अदालत ने कहा कि ऐसे गंभीर मुद्दों को सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए उठाने की बजाय लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत संसद में चर्चा के ज़रिए सामने लाना चाहिए था, ताकि उस पर विस्तार से बहस हो सके और ज़िम्मेदार जवाबदेही तय की जा सके।
कोर्ट ने यह भी कहा कि संसद वह मंच है जहां राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, न कि केवल सार्वजनिक बयानों और ट्वीट्स के ज़रिए। कोर्ट ने राहुल गांधी को यह सलाह भी दी कि उन्हें तथ्यों को मजबूती से रखने के लिए सबूतों के साथ संसद में अपनी बात रखनी चाहिए, जिससे चर्चा सार्थक हो सके और जनता के बीच भ्रम की स्थिति न बने।
अदालत ने यह टिप्पणी उस याचिका की सुनवाई के दौरान की जिसमें राहुल गांधी के चीन को लेकर किए गए बयानों पर आपत्ति जताई गई थी।