मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई पर अदालत में हमले की कोशिश का मामला सामने आया। एक वकील ने उन पर जूता फेंकने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने समय रहते उसे रोक लिया। वकील ने “सनातन के अपमान” के विरोध में यह कदम उठाया। यह घटना सीजेआई गवई की विष्णु मूर्ति से जुड़े एक मामले में की गई टिप्पणी के बाद हुई, जिसके कारण सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई थी। बाद में सीजेआई गवई ने स्पष्ट किया कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। उन्होंने पूरी घटना के दौरान शांत और संयमित व्यवहार बनाए रखा।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर 2025 –
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की। यह घटना उस समय हुई जब सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने मामलों का उल्लेख किया जा रहा था।
घटना का विवरण
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक वकील जिसका नाम राकेश किशोर बताया जा रहा है, ने अचानक अपनी सीट से उठकर सीजेआई गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। वह चिल्लाते हुए बोला – “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे!”
अदालत के सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए वकील को काबू में कर लिया और बाहर ले गए। पूरे घटनाक्रम के दौरान सीजेआई गवई ने पूर्ण संयम बनाए रखा और कोर्ट की कार्यवाही शांतिपूर्वक जारी रही।
कारण क्या था
माना जा रहा है कि यह हमला हाल ही में एक विष्णु मूर्ति पुनर्स्थापना मामले में सीजेआई गवई द्वारा की गई टिप्पणी से जुड़ा है। उस टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद धार्मिक भावनाओं को लेकर विवाद फैल गया।
कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया कि सीजेआई ने अपमानजनक टिप्पणी की थी, हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी मंशा किसी भी धर्म का अपमान करना नहीं थी।
न्यायपालिका और बार काउंसिल की प्रतिक्रिया
इस घटना के तुरंत बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने आरोपी वकील का लाइसेंस निलंबित कर दिया और अनुशासनात्मक जांच शुरू करने की घोषणा की।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, दिल्ली बार एसोसिएशन और कई अन्य न्यायिक संस्थाओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका पर हमला है और अदालत की गरिमा के खिलाफ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर कड़ी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा
सोशल मीडिया पर बहस
घटना के बाद सोशल मीडिया पर दो तरह की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं — कुछ लोगों ने वकील के कदम को निंदनीय बताया, तो कुछ ने इसे “भावनात्मक प्रतिक्रिया” कहा।
वहीं, पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज मार्कंडेय काटजू ने टिप्पणी की कि जजों को अदालत में अपने शब्दों को लेकर अधिक सतर्क रहना चाहिए और “कम बोलना चाहिए”।
सीजेआई की प्रतिक्रिया
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि वे सभी धर्मों और विश्वासों का समान रूप से सम्मान करते हैं और अदालत के अंदर या बाहर किसी भी प्रकार के असहिष्णु व्यवहार को स्वीकार नहीं किया जा सकता।