संक्षेपः दिवाली कब है — इस साल कार्तिक अमावस्या दो दिनों तक रहने के कारण लोगों में यह भ्रम है कि दिवाली किस दिन मनाई जाए। यहां जानें काशी के विद्वानों के अनुसार शास्त्रों के आधार पर दिवाली मनाने की सही तिथि।
इस वर्ष दो दिन कार्तिक अमावस्या पड़ने के कारण दिवाली की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि त्योहार किस दिन मनाया जाए। कई पंचांगों में 21 अक्टूबर को दीपावली दर्शाए जाने से यह संदेह और गहरा गया है।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष और वेद वेदांग संकाय के अध्यक्ष प्रोफेसर अमित कुमार शुक्ल के अनुसार, शास्त्र सम्मत रूप से दीपावली 20 अक्टूबर को ही मनाई जानी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय के योग साधना केंद्र में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि कुछ पंचांगों में 21 अक्टूबर का उल्लेख होने से लोगों में भ्रम फैल गया है, जबकि वास्तविक रूप से 20 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मान्य है।
प्रो. अमित कुमार शुक्ल ने बताया कि इस वर्ष 20 अक्टूबर को प्रदोषकालीन अमावस्या होने के कारण दीपावली की तिथि को लेकर कोई संदेह नहीं रह जाता। संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रकाशित महामहोपाध्याय बापूदेव पंचांग के अनुसार, 20 अक्टूबर की सुबह चतुर्दशी रहेगी। दोपहर 3:44 बजे अमावस्या प्रारंभ होगी और सूर्यास्त के समय, यानी शाम 5:54 बजे, प्रदोषकाल आरंभ होगा। निर्णयसिंधु, धर्मसिंधु और कालमाधव जैसे ग्रंथों के अनुसार, दीपावली 20 अक्टूबर, सोमवार को ही मनाई जानी चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र विभाग के सह-आचार्य प्रो. मधुसूदन मिश्र ने कहा कि जब अमावस्या रात में स्थित होती है, तभी लक्ष्मी पूजन सबसे अधिक फलदायी होता है। इसलिए इस वर्ष 20 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है और प्रदोषकाल में दीपदान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
उन्होंने आगे बताया कि 22 अक्टूबर को अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का शुभ अवसर रहेगा, जबकि 23 अक्टूबर को भैया दूज मनाई जाएगी।
दीपावली भले ही एक दिन का मुख्य पर्व हो, लेकिन यह वास्तव में पांच दिनों का उत्सव है — धनतेरस से लेकर यम द्वितीया तक। शास्त्रों में इन पांच दिनों को यम पंचक कहा गया है, जिसमें यमराज, वैद्यराज धन्वंतरि, लक्ष्मी-गणेश, हनुमान, काली और भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विशेष विधान बताया गया है।