सार
बांके बिहारी मंदिर के पास 150 साल पुरानी तीन मंजिला बावड़ी का पता चला है। खुदाई में चार कमरे, एक सुरंग, और प्राचीन अवशेष मिले हैं। यह बावड़ी बिलारी के राजा के नाना के समय की मानी जा रही है, जो ऐतिहासिक महत्व रखती है।
संभल के चंदौसी के मुस्लिम बहुल मोहल्ले लक्ष्मणगंज में बांकेबिहारी मंदिर के पास कुछ ही दूरी पर स्थित खाली प्लॉट में दबे 150 साल पुरानी बावड़ी की तलाश में रविवार को खुदाई की गई। इस खोदाई में बावड़ी के चार कमरे और एक सुरंग जैसी रास्ता मिला है। अधिकारियों का कहना है कि बावड़ी की खुदाई अब भी जारी रहेगी।
शनिवार को बांके बिहारी मंदिर के पास यह बावड़ी मिली थी, और रविवार की सुबह प्रशासन व नगर पालिका की टीम ने वहां पहुंचकर खुदाई का काम शुरू किया।
खोदाई के दौरान बावड़ी में चार कमरे और एक सुरंग दिखाई दी। बावड़ी में मिले इन कमरों और सुरंग की जानकारी मिलने पर डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई मौके पर पहुंचे। डीएम ने राजस्व टीम को बुलाकर बावड़ी की भूमि का नक्शा देखा और स्थिति का जायजा लिया।
डीएम ने बताया कि अभिलेखों में इस बावड़ी को 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में स्थित तालाब के रूप में दर्ज किया गया है। यह बावड़ी लगभग 150 साल पुरानी मानी जा रही है और बिलारी के राजा के नाना के समय की बताई जा रही है।
डीएम ने बताया कि खोदाई में जो बावड़ी मिली है, वह तीन मंजिला है। इनमें से दो मंजिल संगमरमर से बनी हैं, जबकि एक मंजिल ईंटों से बनाई गई है। इस बावड़ी में कूप भी हैं और चार कक्ष मौजूद हैं। एएसआई द्वारा सर्वे किए जाने के सवाल पर डीएम ने कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी, तो पुरातत्व निदेशालय से इस बारे में अनुरोध किया जाएगा। डीएम ने यह भी बताया कि बावड़ी के साथ-साथ मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा, ताकि लोग वहां पूजा कर सकें। इसके लिए अतिक्रमण हटाया जाएगा।
समाधान दिवस के दौरान डीएम को बावड़ी के बारे में जानकारी दी गई। कुछ दिन पहले मोहल्ला लक्ष्मणगंज में एक खंडहरनुमा प्राचीन बांकेबिहारी मंदिर मिला था। इसके बाद, सनातन सेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख कौशल किशोर वंदेमातरम ने शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस में डीएम राजेंद्र पैंसिया को पत्र लिखकर मोहल्ला लक्ष्मणगंज में मंदिर के पास बावड़ी होने का दावा किया था। मामले को गंभीरता से लेते हुए एडीएम न्यायिक सतीश कुमार कुशवाहा और तहसीलदार धीरेंद्र सिंह को पालिका की टीम के साथ मौके पर भेजकर बावड़ी की तलाश के लिए एक प्लॉट की खोदाई करने के आदेश दिए थे।
बावड़ी की दो मंजिलें संगमरमर से निर्मित हैं।
डीएम ने बताया कि तीन मंजिला बावड़ी की दो मंजिलें संगमरमर से बनी हैं, जबकि एक मंजिल ईंटों से बनाई गई है। इसमें कूप भी हैं और चार कक्ष भी बने हैं। डीएम ने कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी, तो पुरातत्व निदेशालय से इस बावड़ी का सर्वे कराने का अनुरोध किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि बावड़ी के साथ-साथ मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा, ताकि लोग वहां पूजा-अर्चना कर सकें। इसके लिए अतिक्रमण को हटाया जाएगा।