महाकुंभ की शुरुआत आज से हो चुकी है, और संगम स्थान पर सुबह से ही कड़ाके की ठंड का असर दिख रहा है। लोग ठंड से बचने के लिए कई कपड़े पहनकर घूम रहे हैं, लेकिन इस बीच एक सवाल उठता है कि इतनी ठंड में भी नागा साधु कैसे नंगे बदन रह लेते हैं?
आज पौष पूर्णिमा से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है, और श्रद्धालु सुबह से संगम तट पर स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। कड़ाके की ठंड सुबह से ही दिख रही है, जिससे लोग ठंड से बचने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। वहीं, नागा साधु शरीर पर भस्म लगाए बिना बिना कपड़ों के नजर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस कड़ाके की ठंड से हम बचने की कोशिश करते हैं, उसमें नागा साधु बिना कपड़ों के कैसे रह पाते हैं?
नागाओं की उत्पत्ति: इतिहास और आध्यात्मिक महत्व
कहा जाता है कि जब शंकराचार्य ने भारत में चार मठों की स्थापना की, तो उन्होंने इन मठों की सुरक्षा के लिए एक विशेष समूह बनाने का निर्णय लिया। उनका उद्देश्य था एक ऐसी टोली बनाना जो निडर हो और सांसारिक मोह-माया से दूर रहे। इस प्रकार, यह टोली नागा साधुओं के रूप में अस्तित्व में आई। नागा साधु बनना अपने आप में एक कठिन साधना है, क्योंकि यह विशेष तपस्या और आत्मसंयम की मांग करता है। नागा साधु, अन्य साधुओं के विपरीत, हठ योग का अभ्यास करते हैं। इसका उदाहरण महाकुंभ मेला में देखा जा सकता है, जहां कुछ नागा साधु कई सालों से सवा लाख रुद्राक्ष पहनने का नियम निभाते हैं, तो वहीं कुछ साधु वर्षों से एक हाथ ऊपर उठाए हुए होते हैं।
नागा साधुओं को ठंड क्यों नहीं लगती? जानें इसके पीछे का रहस्य
नागा साधु बिना कपड़ों के रहते हैं और माइनस टेम्परेचर को भी बिना किसी समस्या के सहन कर लेते हैं। जबकि मेडिकल साइंस के अनुसार, -20 डिग्री सेल्सियस तापमान में कोई भी इंसान केवल 2.30 घंटे तक जीवित रह सकता है, और अगर वह दो परत कपड़े पहन ले तो वह 15 घंटे तक जिंदा रह सकता है। बावजूद इसके, नागा साधु इस सिद्धांत को गलत साबित कर देते हैं। तो फिर, क्या कारण है कि उन्हें ठंड नहीं लगती? माना जाता है कि नागा साधु अपनी साधना की शक्ति के जरिए ठंड और गर्मी पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। वे तीन प्रमुख प्रकार की साधनाओं का पालन करते हैं, जो उन्हें हर मौसम में जीवित रहने में मदद करती हैं।
नागा साधुओं द्वारा अपनाए गए तीन प्रमुख उपाय जो ठंड से बचाते हैं
नागा साधु ठंड को सहन करने के लिए तीन प्रमुख साधनाओं का पालन करते हैं, जो उन्हें शरीर को गर्म रखने में मदद करती हैं:
- अग्नि साधना: नागा साधु अग्नि तत्व को अपने शरीर में एकत्रित कर लेते हैं, जिससे उनका शरीर हमेशा गर्म रहता है। यह साधना उन्हें ठंड से निपटने में मदद करती है।
- नाड़ी शोधन प्राणायाम: इस प्राणायाम से नागा साधु अपने शरीर में वायु का संतुलन बनाए रखते हैं, जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और उन्हें ठंड का एहसास नहीं होता।
- मंत्रों का जाप: नागा साधु नियमित रूप से मंत्रों का जाप करते हैं, जिससे उनके शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और गर्मी उत्पन्न होती है। यह साधना उन्हें शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करती है, जिससे वे ठंडी को बिना किसी परेशानी के सहन कर पाते हैं।
इसके अलावा, नागा साधु जो भस्म अपने शरीर पर लगाते हैं, वह एक प्रकार का इंसुलेटर का काम करती है। इसमें कई खनिज और लवण होते हैं, जैसे कैल्शियम, फास्फोरस, और पोटैशियम, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
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