Friday, September 12, 2025
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कुंभ मेले की भीड़ से परेशान हुए IIT बाबा, इंस्टाग्राम पर फॉलोअर्स 6K से बढ़कर 40 लाख

आईआईटी बाबा अभय सिंह की लोकप्रियता ने नया मुकाम हासिल कर लिया है, जिससे कुंभ मेले के क्षेत्र में उनका बाहर निकलना अब लगभग असंभव हो गया है। अभय सिंह ने कहा कि पहले वह बेफिक्र होकर चाय पीने के लिए कहीं भी जा सकते थे और किसी भी टेंट में आराम से रात गुजार सकते थे। लेकिन अब उनकी बढ़ती पहचान के कारण यह सब करना काफी मुश्किल हो गया है।

1. महाकुंभ मेले में आईआईटी बाबा को भीड़ से जूझना पड़ रहा है।
2. बाबा से बातचीत और इंटरव्यू के लिए लोगों की लंबी कतारें लग रही हैं।
3. अभय सिंह ने अपनी पढ़ाई आईआईटी बॉम्बे से पूरी की है।

प्रयागराज: महाकुंभ मेले में धूनी रमाए बैठे आईआईटी बाबा अभय सिंह की लोकप्रियता का आलम यह है कि उनका इंटरव्यू लेने के लिए यूट्यूबरों और मीडियाकर्मियों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। कुंभ मेले में आने से पहले उनके इंस्टाग्राम पर सिर्फ 6,000 फॉलोअर्स थे, जो अब बढ़कर 4 लाख से ज्यादा हो गए हैं। बढ़ती प्रसिद्धि के चलते आईआईटी बाबा अब काफी असहज महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहले वह मेले के भीतर आराम से घूमते थे, जहां मन करता था चाय पीने चले जाते थे, लेकिन अब जैसे ही वह बाहर निकलते हैं, भीड़ उन्हें घेर लेती है। पहले वह किसी भी टेंट में जाकर सो जाते थे, लेकिन अब यह सब करना संभव नहीं रह गया है।

आईआईटी बाबा ने पहली बार इंस्टाग्राम पर लाइव आकर अपने फॉलोअर्स से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने रामायण समेत कई अन्य विषयों पर अपने विचार साझा किए। अभय सिंह ने कहा कि जैसे हिंसा के खिलाफ कानून है, वैसे ही माता-पिता द्वारा बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपने के खिलाफ भी कानून होना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता-पिता को बच्चों की स्वतंत्रता और इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए और उन पर अपनी बातें जबरदस्ती थोपने से बचना चाहिए।

कनाडा में लाखों के पैकेज पर किया काम

अभय सिंह ने 2008 में आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। इसके बाद वह कनाडा चले गए, जहां उन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में शानदार पैकेज पर काम किया। हालांकि, कनाडा का जीवन उन्हें रास नहीं आया और उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया। भारत आने के बाद उन्होंने एक साल तक छात्रों को फिजिक्स की कोचिंग दी। इसके अलावा, उन्होंने कुछ समय तक ट्रैवल ब्लॉगर के रूप में भी काम किया, लेकिन इस क्षेत्र में भी उनका मन नहीं लगा। आखिरकार, उन्होंने सांसारिक जीवन त्याग कर संत का मार्ग अपनाया। महाकुंभ मेले में शामिल होने के बाद उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ गई।

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