बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के ढाका स्थित घर में बुधवार को एक बड़े प्रदर्शनकारी समूह ने तोड़फोड़ की और आग लगा दी। यह घटना उस वक्त हुई जब उनकी बेटी और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ऑनलाइन संबोधन दे रही थीं। धानमंडी क्षेत्र में स्थित इस घर को पहले एक स्मारक संग्रहालय में तब्दील किया गया था, जिसे बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक के रूप में देखा जाता था।
तानाशाही का प्रतीक बताया
प्रदर्शनकारियों ने इसे शेख हसीना की तानाशाही का प्रतीक बताया, जबकि इसे पहले देश की स्वतंत्रता से जोड़ा जाता था। हजारों प्रदर्शनकारी पहले से ही इकट्ठा थे और जैसे ही हसीना ने अपना भाषण शुरू किया, प्रदर्शनकारियों ने घर पर हमला कर दिया। दीवारों को तोड़ने के बाद, वे एक क्रेन और खुदाई मशीन से इमारत को ध्वस्त करने लगे।
शेख हसीना ने इन हमलों का जवाब देते हुए कहा, “वे एक इमारत को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन वे इतिहास को नहीं मिटा सकते।” उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने असंवैधानिक तरीकों से सत्ता हासिल की है और बांग्लादेश के लोगों से उनके नेतृत्व का विरोध करने की अपील की।
भारत के खिलाफ भी नारेबाजी
विरोध प्रदर्शन ने बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल में और भी गहरी अस्थिरता पैदा कर दी है। हसीना ने कहा कि इतिहास का अपना बदला होता है और आने वाले दिनों में ये घटनाएं साबित करेंगी कि कौन सही था। प्रदर्शनकारियों ने हसीना के खिलाफ नारे लगाए और भारत को भी आलोचना करते हुए कहा कि उनके शासन के दौरान कई लोगों की मौत हुई थी। कुछ प्रदर्शनकारियों ने हसीना के खिलाफ और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगाए।
शेख हसीना पर गंभीर आरोप
अंतरिम सरकार को देश की व्यवस्था बनाए रखने और हसीना के समर्थकों के खिलाफ हिंसा को रोकने में कठिनाई हो रही है। सरकार ने हसीना के ऊपर भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन के आरोप लगाए हैं, जबकि हसीना ने इन आरोपों को खारिज करते हुए यूनुस की नेतृत्व वाली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
इस बीच, बांग्लादेश के राजनीतिक संकट ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी चिंता बढ़ा दी है। यह स्थिति देश के विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक बड़ा सवाल बन गई है।