अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन, कनाडा और मेक्सिको पर लगाए गए नए आयात शुल्क मंगलवार से प्रभावी हो गए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की शुरुआत हो गई है। ट्रंप प्रशासन ने कनाडा और मेक्सिको से आने वाले उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाया है, जबकि चीन से आयातित वस्तुओं पर 20% शुल्क लागू किया गया है। इसके जवाब में, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो ने भी 30 अरब कनाडाई डॉलर मूल्य की अमेरिकी वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की। त्रूदो ने इस कदम को “मूर्खतापूर्ण” बताते हुए कहा कि कनाडा इसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चुनौती देगा।
चीन और मेक्सिको का जवाबी हमला
चीन ने भी जवाबी कदम उठाते हुए अमेरिकी कृषि उत्पादों जैसे चिकन, पोर्क, सोया, बीफ, समुद्री आहार, फल, सब्जियां और डेयरी उत्पादों पर 10-15% तक अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की। चीन का यह टैरिफ 10 मार्च से लागू होगा। इसके अलावा, चीन ने 10 अमेरिकी कंपनियों को “गैर-भरोसेमंद सूची” में डालने का निर्णय लिया है, जिनमें रक्षा, एआई, विमानन और आईटी से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं।
मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने भी कहा है कि उनकी सरकार जल्द ही अमेरिका पर जवाबी शुल्क लगाएगी, जिसकी आधिकारिक घोषणा रविवार को होगी।
वैश्विक प्रभाव: महंगाई में वृद्धि की आशंका
अमेरिका और तीन देशों के बीच इस व्यापार युद्ध का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। इन चार देशों की कुल वैश्विक जीडीपी में 48.1% हिस्सेदारी है। अकेले अमेरिका का योगदान 26% और चीन का 19% है, जबकि मेक्सिको (1.9%) और कनाडा (1.2%) की हिस्सेदारी तुलनात्मक रूप से कम है। इस टैरिफ युद्ध से मुद्रास्फीति बढ़ने और वैश्विक आर्थिक विकास में बाधा आने की संभावना जताई जा रही है।
चीन की डब्ल्यूटीओ में शिकायत
चीन ने अमेरिका के साथ बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका का यह एकतरफा फैसला बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को कमजोर कर सकता है। यह व्यापार युद्ध इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि वैश्विक व्यापार का 15% हिस्सा अमेरिका और चीन के बीच होता है। दोनों देशों के बीच 2023 में 575 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था।
भारत को हो सकता है फायदा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस व्यापार युद्ध के चलते भारतीय उत्पादों की अमेरिकी बाजार में मांग बढ़ सकती है। कृषि, इंजीनियरिंग, मशीन टूल्स, परिधान, कपड़ा, रसायन और चमड़ा जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है। इसके अलावा, भारत को कीमतों के मोर्चे पर चीन, मेक्सिको और कनाडा से प्रतिस्पर्धा करने का भी फायदा मिल सकता है।
