अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी मनमर्जी से फैसले ले रही है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अनदेखी कर रही है
Congress CWC Meeting: गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस पार्टी का 84वां महाधिवेशन जारी है। इस अहम मौके पर देशभर से 1,700 से भी ज्यादा कांग्रेस प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। अधिवेशन के दूसरे दिन पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि हाल ही में संपन्न बजट सत्र में सरकार ने लोकतांत्रिक मर्यादाओं की अनदेखी करते हुए मनमाने तरीके से काम किया
खरगे ने लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि राहुल गांधी को संसद में अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया, जो लोकतंत्र के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, संसद देर रात तक चली, लेकिन सरकार के पास जनहित के गंभीर मुद्दों पर चर्चा का समय नहीं था। इससे साफ है कि सरकार लोकतंत्र को कितनी गंभीरता से लेती है
कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि अमेरिका ने भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया, लेकिन संसद में इस पर चर्चा की इजाजत तक नहीं दी गई। खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार देश की बहुमूल्य सरकारी संपत्तियां निजी कंपनियों को सौंप रही है।
पीएम मोदी पर तीखा तंज
अपने संबोधन में खरगे ने कहा, “अगर यही रवैया रहा तो वो दिन दूर नहीं जब मोदी सरकार देश की सारी संपत्तियां बेचकर चली जाएगी। एयरपोर्ट हो, माइनिंग हो, मीडिया हाउस हों या टेलीकॉम सेक्टर — सब कुछ अपने उद्योगपति मित्रों को सौंपा जा रहा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है
उन्होंने सरकार पर विपक्ष को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा, “सरकार काम करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस को कोसने में लगी है। चुनावी संस्थाएं भी उनके नियंत्रण में हैं। जबकि दुनिया के विकसित देश ईवीएम छोड़कर फिर से बैलेट पेपर की ओर लौट रहे हैं, हम अब भी ईवीएम पर भरोसा कर रहे हैं। ये सब फ्रॉड है। अगर सरकार ऐसी तकनीक अपनाएगी, जिससे सिर्फ उसे फायदा हो, तो देश का नौजवान जरूर उठ खड़ा होगा और बैलेट पेपर की मांग करेगा
विपक्ष शासित राज्यों के साथ भेदभाव
खरगे ने यह भी कहा कि पिछले 11 वर्षों में विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के साथ केंद्र सरकार ने सौतेला व्यवहार किया है। उन्होंने याद दिलाया कि पहले केंद्र-राज्य संबंध इतने अच्छे थे कि राज्यों की मांगों पर तुरंत ध्यान दिया जाता था। लेकिन मोदी सरकार में बजट घोषणाओं से लेकर नीतिगत फैसलों तक, विपक्षी राज्यों के साथ भेदभाव हो रहा है।