भोपाल/इंदौर: हनीमून के लिए शिलॉन्ग गई सोनम रघुवंशी अब पति की हत्या के आरोपों में घिरी हुई है। इस खुलासे के बाद उसकी कॉलोनी में चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोग हैरान हैं कि महज 24 साल की सोनम का दिमाग किसी शातिर अपराधी की तरह कैसे काम करने लगा। आखिर उसमें ऐसा क्या था कि वह इंसानियत की हदें पार कर वहशी हरकत पर उतर आई?
कॉलोनी में महिलाएं इस सनसनीखेज वारदात को लेकर फुसफुसाहट में बातें कर रही हैं, लेकिन मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं। सोनम और राजा दोनों ही पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने-अपने पारिवारिक व्यवसाय में जुटे थे। वहीं सोनम का परिचय राज से हुआ, जो उसके पिता की प्लाईवुड कंपनी में काम करता था।
सोनम की शिक्षा और महत्वाकांक्षाएं
सोनम ने इंदौर के सरस्वती विद्या विहार से 10वीं तक की पढ़ाई की, फिर किसी अन्य स्कूल से 12वीं और आगे चलकर बीकॉम की डिग्री ली। वह एमबीए करना चाहती थी, लेकिन एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने के नाते उस पर सामाजिक सीमाओं की बंदिशें थीं। शुरू से ही उसने इन सीमाओं को तोड़ने की चाह रखी।
सख्त अनुशासन में पली-बढ़ी
सोनम का घर इंदौर के कुशवाहा नगर में था, जो कोई हाई-प्रोफाइल इलाका नहीं माना जाता। माता-पिता ने सोनम की परवरिश कड़े अनुशासन में की—सीधे स्कूल या कॉलेज से घर लौटना और गैरज़रूरी मेल-जोल से दूरी बनाए रखना। मोहल्ले वालों के अनुसार, सोनम को बिना वजह कहीं आने-जाने की अनुमति नहीं थी।

फाइनेंशियल मामलों की एक्सपर्ट बनी सोनम
बीकॉम के बाद सोनम ने अपने पिता देवी लाल रघुवंशी के प्लाईवुड व्यवसाय में काम संभालना शुरू किया। केवल दो साल में उसने पूरे फाइनेंशियल सिस्टम को अपने हाथ में ले लिया। मोहल्ले के निवासी लक्ष्मण सिंह ठाकुर बताते हैं, “हमने सोनम को पढ़ते-बढ़ते देखा और फिर अपने पिता का कारोबार बखूबी संभालते हुए भी। पैसे के सारे लेन-देन वही देखती थी।”
राजा रघुवंशी भी था बीकॉम ग्रेजुएट
राजा रघुवंशी इंदौर का रहने वाला था और अपने परिवार के ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को संभाल रहा था। बीकॉम करने के बाद वह पूरी तरह से बिजनेस में सक्रिय था और हर महीने अच्छी कमाई करता था। सोनम से वह उम्र में करीब 5 साल बड़ा था और दोनों ही समृद्ध व्यापारी परिवारों से ताल्लुक रखते थे।

फिर क्यों पसंद आया 10वीं पास राज?
सवाल ये है कि बीकॉम ग्रेजुएट और फाइनेंशियल एक्सपर्ट सोनम को सिर्फ 10वीं पास राज क्यों पसंद आया? दरअसल, राज पहले सोनम के घर में नौकर के तौर पर काम करता था। कोविड के दौरान पिता की मृत्यु के बाद उसने सोनम के पिता की प्लाईवुड कंपनी में नौकरी शुरू की। भले ही पढ़ाई कम थी, लेकिन राज काम में बेहद होशियार था। दो साल में सोनम ने उस पर इतना भरोसा कर लिया कि कंपनी की पूरी बिलिंग का ज़िम्मा उसे सौंप दिया।
गौर करने वाली बात ये भी है कि सोनम, राज से लगभग 5 साल बड़ी थी।

गांव की जमीन बेचकर खड़ा किया कारोबार
सोनम का परिवार करीब 5 से 7 साल पहले ही मध्यमवर्गीय स्थिति तक पहुंचा था। उससे पहले उनके पास कोई स्थायी व्यवसाय नहीं था। बताया जाता है कि सोनम के पिता, देवी सिंह रघुवंशी, ने अपने गांव की पुश्तैनी जमीन बेचकर इंदौर में खुद का कारोबार शुरू किया था।
शुरुआत में उन्हें व्यापार में काफी नुकसान झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। मेहनत और लगातार कोशिशों के दम पर उन्होंने व्यापार को संभाला। अंततः इंदौर की मंगल सिटी में उन्होंने अपने नाम से एक प्लाईवुड की दुकान शुरू की, जो धीरे-धीरे चलने लगी और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगी।