उज्ज्वल निकम ने कहा कि 1993 में मुंबई में हुए धमाके, जिनमें 267 लोगों की मौत हुई थी, टाले जा सकते थे अगर अभिनेता संजय दत्त उस हथियारों से भरी वैन के बारे में पुलिस को जानकारी दे देते, जिससे उन्होंने एक एके-47 बंदूक ली थी
नई दिल्ली:
सरकार के प्रमुख वकील उज्ज्वल निकम, जो अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सिफारिश पर राज्यसभा में कदम रखने जा रहे हैं, ने एनडीटीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में अपने कानून करियर पर नजर डाली। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 1993 के मुंबई धमाके, जिनमें 267 लोगों की मौत हुई थी, रोके जा सकते थे अगर अभिनेता संजय दत्त उस हथियारों से भरी वैन के बारे में पुलिस को बता देते, जिससे उन्होंने एक एके-47 बंदूक ली थी।
कोर्ट ने संजय दत्त को TADA कानून के तहत आतंकवादी होने के आरोप से बरी कर दिया था, लेकिन आर्म्स एक्ट के तहत दोषी माना था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी छह साल की सजा घटाकर पांच साल कर दी थी। संजय दत्त ने यह सजा पुणे की येरवडा जेल में पूरी की थी। संजय दत्त उस समय मासूम थे और उन्हें बंदूकों का शौक था, इसलिए उन्होंने हथियार अपने पास रखे थे, ऐसा एनडीटीवी से बातचीत में उज्ज्वल निकम ने कहा। निकम बोले, “कानून की नजर में उन्होंने अपराध तो किया था, लेकिन वह एक सीधे-सादे इंसान हैं… मैंने उन्हें मासूम ही माना।”
“मैं सिर्फ एक ही बात कहना चाहता हूं। धमाका 12 मार्च को हुआ था, उससे कुछ दिन पहले संजय दत्त के घर एक वैन आई थी, जो हथियारों – हैंड ग्रेनेड और एके 47 से भरी हुई थी। अबू सलेम (दाऊद इब्राहिम का गुर्गा) ये वैन लेकर आया था। संजय ने कुछ हथगोले और बंदूकें लीं, बाद में सब लौटा दिए और सिर्फ एक एके 47 अपने पास रखी। अगर उस समय उन्होंने पुलिस को जानकारी दे दी होती, तो पुलिस जांच करती और मुंबई ब्लास्ट कभी नहीं होते,” निकम ने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने संजय दत्त के वकील से भी कहा था कि एके 47 का इस्तेमाल कभी नहीं हुआ, और सिर्फ प्रतिबंधित हथियार रखने का अपराध हुआ। लेकिन पुलिस को न बताना ही असली वजह थी, जिससे इतने लोगों की जान गई।
निकम ने एक “राज़” भी साझा किया, जो उन्होंने पहले कभी मीडिया को नहीं बताया था — वह बातचीत जो संजय दत्त से तब हुई, जब कोर्ट ने उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया था। निकम बोले, “जब सजा सुनाई गई तो संजय दत्त अपने आप पर काबू नहीं रख पाए। मैंने उनकी बॉडी लैंग्वेज देखी, वह सदमे में थे, फैसला सहन नहीं कर पा रहे थे और बहुत घबराए हुए लग रहे थे।”
“वह गवाह के बॉक्स में थे और मैं पास ही था, तो मैंने उनसे कहा: ‘संजय, ऐसा मत करो। मीडिया देख रही है। तुम एक्टर हो। अगर तुम सजा से डर गए दिखोगे तो लोग तुम्हें दोषी मानेंगे। तुम्हारे पास अपील का मौका है।’ संजय ने कहा ‘यस सर, यस सर’।”
उज्ज्वल निकम ने 26/11 मुंबई हमले के मामले में भी विशेष अभियोजक की भूमिका निभाई थी, जिसमें पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को फांसी दी गई। जब उनसे उनके उस बयान के बारे में पूछा गया कि कसाब जेल में बिरयानी खा रहा था, तो निकम ने कहा कि कसाब ने सच में बिरयानी मांगी थी, लेकिन बाद में उस बयान को राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया गया और मुद्दा बना दिया गया।