Thursday, September 11, 2025
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Jagdeep Dhankhar: इस्तीफे की असली वजह आई सामने, जानिए जस्टिस वर्मा के महाभियोग से क्या है खास कनेक्शन

Jagdeep Dhankhar Resigns जगदीप धनखड़ ने सोमवार को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है कि इसके पीछे वजह राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने का नोटिस है। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा तुरंत स्वीकार कर लिया।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ पहले लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही थी, लेकिन धनखड़ ने अचानक राज्यसभा में ही इस प्रक्रिया को शुरू करने का ऐलान कर दिया, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई।

नई दिल्ली। जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar Resign) ने सोमवार को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह फैसला संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लिया और अपने पत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। अगले ही दिन यानी मंगलवार को राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर पोस्ट कर उनकी सेहत की कामना की।

धनखड़ के अचानक इस्तीफे के पीछे राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग (Justice Yashwant Varma Impeachment) चलाने का नोटिस बड़ी वजह माना जा रहा है। बतौर सभापति धनखड़ ने विपक्ष के 63 सांसदों के हस्ताक्षर वाला यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था, जबकि इसकी जानकारी सरकार के फ्लोर लीडर्स को नहीं थी।

सरकार की थी लोकसभा से शुरुआत की योजना
सरकार की रणनीति थी कि महाभियोग प्रस्ताव पहले लोकसभा से पारित कराया जाए और फिर राज्यसभा में भेजा जाए। लोकसभा में प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, भाजपा नेताओं रविशंकर प्रसाद और अनुराग ठाकुर समेत कुल 145 सांसदों के हस्ताक्षर थे, जिससे जाहिर था कि इस मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष के बीच सहमति बन चुकी थी।

मगर राज्यसभा में दोपहर करीब 3:30 बजे धनखड़ ने अचानक एलान कर दिया कि उन्हें 63 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ महाभियोग का नोटिस मिला है और इसकी प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं। हैरानी की बात ये रही कि इन सांसदों में भाजपा या उसके सहयोगी दलों का कोई भी सदस्य शामिल नहीं था। इस स्थिति ने सरकार को असहज कर दिया।

धनखड़ थे जस्टिस वर्मा मुद्दे पर मुखर
धनखड़ जस्टिस वर्मा के मामले को लेकर पहले से ही काफी सक्रिय और मुखर थे। उन्होंने राज्यसभा के महासचिव को तुरंत कार्रवाई शुरू करने का निर्देश भी दिया था, जिसमें दोनों सदनों की संयुक्त समिति का गठन शामिल था।

हालांकि, इसमें एक बड़ा जोखिम था – क्योंकि विपक्ष पहले से ही जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दे चुका था, जिससे सत्र के दौरान यह मामला भी उठ सकता था।

सूत्रों के मुताबिक, सत्तापक्ष ने इस स्थिति पर नाराजगी जाहिर की और नेता सदन जेपी नड्डा ने धनखड़ को संदेश भिजवाया कि वे और किरेन रिजिजू सलाहकार समिति की बैठक में नहीं आ रहे हैं। इसी बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कक्ष में भाजपा सांसदों ने एक पेपर पर हस्ताक्षर किए, जिसे संभवतः भाजपा की तरफ से भी महाभियोग नोटिस देने की तैयारी के लिए किया जा रहा था, मगर हो सकता है धनखड़ ने इसे कुछ और समझा हो।

असहजता बढ़ने पर लिया इस्तीफे का फैसला
घटनाक्रम कुछ ऐसा बना कि असहजता बढ़ती गई और स्वभाव से सख्त रुख रखने वाले धनखड़ ने आखिरकार इस्तीफा देने का निर्णय कर लिया। शाम छह बजे तक उन्होंने इस बारे में सरकार को संकेत भी दे दिया।

इस घटनाक्रम ने संसद और सियासी गलियारों में हलचल मचा दी, जहां अब चर्चा है कि क्या वास्तव में इस्तीफे की वजह महाभियोग नोटिस ही था या कुछ और भी था।

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