Russia Earthquake Tsunami: साल 2011 में जापान में आए 9 तीव्रता के भूकंप ने भयानक सुनामी को जन्म दिया था, जिससे करीब 20 देशों में भारी तबाही हुई थी। अब रूस में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया है—आखिर ये कितनी विनाशलीला लाएगा, इसका जवाब तो वक्त ही देगा। चलिए, समझते हैं आखिर भूकंप के पीछे की पूरी कहानी
रूस में जबरदस्त भूकंप आया है, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.7-8.8 के बीच बताई जा रही है। यह इतना खतरनाक है कि अमेरिका से लेकर जापान तक सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई है। रूस के कमचटका प्रायद्वीप में आए इस भूकंप के आसपास अलास्का और कमचटका में अमेरिका-रूस के परमाणु ठिकाने भी मौजूद हैं। उधर, जापान में फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को एहतियातन खाली करा लिया गया है। अगर जापान में सुनामी आती है तो इसका असर भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह तक भी पहुँच सकता है, खासकर जब एक दिन पहले ही इस इलाके में भी भूकंप दर्ज किया गया था।
इस तबाही के बीच बुल्गारिया की मशहूर भविष्यवक्ता बाबा वेंगा की डरावनी भविष्यवाणी एक बार फिर चर्चा में है। उन्होंने कहा था कि 2025-2026 के बीच धरती बुरी तरह हिलेगी, बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाओं से महाप्रलय की शुरुआत होगी, और यूरोप में बड़ा सैन्य संघर्ष भी होगा। सवाल उठता है—क्या यह उसी भविष्यवाणी की शुरुआत है? चलिए, समझते हैं इस भीषण भूकंप के पीछे ‘त्रिदेवों’ का खेल क्या है
भारत का अब तक का सबसे भीषण भूकंप कहां आया?
भारत के इतिहास में अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप 1950 में अरुणाचल प्रदेश में आया था। इसे असम-तिब्बत भूकंप भी कहा जाता है। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.6 मापी गई थी। इस भूकंप के कारण जमीन में गहरी दरारें पड़ीं, जगह-जगह भूस्खलन हुआ और तेज झटकों से पूरे इलाके में तबाही मच गई। इसमें करीब 780 लोगों की जान चली गई थी।
भूकंप को समझने के लिए धरती की बनावट को जानिए
हमारी पृथ्वी चार परतों से बनी होती है:
- इनर कोर
- आउटर कोर
- मैंटल
- क्रस्ट
क्रस्ट और ऊपरी मैंटल को मिलाकर लिथोस्फेयर कहा जाता है, जो लगभग 50 किलोमीटर मोटी होती है। यह परत अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेट्स में बंटी होती है। धरती के भीतर करीब 7 प्रमुख प्लेट्स लगातार हलचल में रहती हैं। जब ये प्लेट्स अचानक टकराती हैं या तेजी से खिसकती हैं, तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
ये ‘त्रिदेव’ बनाते हैं भूकंप को विनाशकारी
भूकंप के दौरान तीन तरह की भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं, जिन्हें अक्सर ‘त्रिदेव’ कहा जाता है:
- P-तरंगें (Primary waves): सबसे तेज गति से फैलती हैं और पहला झटका देती हैं।
- S-तरंगें (Secondary waves): थोड़ी धीमी होती हैं, और लहराती या झूलने जैसी गति महसूस कराती हैं।
- सतही तरंगें (Surface waves): केवल बड़े भूकंपों में पैदा होती हैं और सबसे ज्यादा तबाही मचाती हैं, जमीन को एक तरफ से दूसरी तरफ हिला सकती हैं।
भूकंप को कैसे मापा जाता है?
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है। यह एक लॉगरिदमिक स्केल है, यानी हर एक अंक की बढ़ोतरी से भूकंप की ताकत करीब 10 गुना बढ़ जाती है। जैसे, 6.0 का भूकंप, 5.0 के भूकंप से लगभग दस गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है।
भूकंप के मुख्य कारण क्या होते हैं?
भूकंप आने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल (सबसे बड़ा कारण)
- ज्वालामुखी का फटना
- बड़े भूस्खलन
- खदानों में विस्फोट
- परमाणु परीक्षण आदि
जब प्लेट्स अचानक टकराती हैं या दूर खिसकती हैं, तब धरती के भीतर जमा ऊर्जा बाहर निकलती है, जिससे भूकंप आता है।
तबाही कितनी होगी, ये किन पर निर्भर करता है?
भूकंप से होने वाला नुकसान उसकी तीव्रता और भूकंप के केंद्र (Epicenter) की गहराई पर निर्भर करता है। अगर भूकंप उथली गहराई पर आता है, तो ज्यादा ऊर्जा सतह तक पहुंचती है, जिससे तबाही बढ़ जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इमारतों का गिरना दुर्लभ है, पर अगर झटके तेज हों और संरचनाएं कमजोर हों, तब बड़ा नुकसान हो सकता है।
क्यों सुनाई देती है गड़गड़ाहट?
USGS के अनुसार, उथले भूकंप में जब तेज गति वाली भूकंपीय तरंगें जमीन से गुजरती हैं, तब हमें गड़गड़ाहट जैसी आवाज सुनाई देती है। ये आवाज अक्सर बेहद डरावनी लगती है, लेकिन यह धरती की अंदरूनी हलचल का नतीजा होती है।