Tuesday, October 21, 2025
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धनतेरस पर मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा कैसे करें, जानिए दीपदान की सही विधि

धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व होता है। यह दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। धनतेरस की पूजा त्रयोदशी तिथि पर संपन्न की जाती है।

धनतेरस पूजा 2025: इस वर्ष धनतेरस 18 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व है। धनतेरस को आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। संध्या के समय त्रयोदशी तिथि पर विधि-विधान से पूजा की जाती है।

धनतेरस के दिन खरीदारी को शुभ माना गया है, क्योंकि यह दिन समृद्धि और सौभाग्य लाने वाला होता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन-वैभव बना रहता है, जबकि भगवान धन्वंतरि की आराधना से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। आइए जानें धनतेरस पर पूजा और दीपदान की सही विधि।

धनतेरस पर कैसे करें कुबेर और मां लक्ष्मी पूजा

धनतेरस के दिन सुबह जल्दी और उठें और स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मंदिर की सफाई करें। सूर्य देव को जल अर्पित करें। चौकी पर मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी और कुबेर जी की मूर्ति या फोटो को विराजमान करें। दीपक जलाकर चंदन का तिलक लगाएं। इसके पश्चात मिठाई और फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। श्रद्धा अनुसार दान करें। इसके बाद आरती करें। कुबेर जी के मंत्र ओम ह्रीं कुबेराय नमः का 108 बार जाप करें। धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करें।

धनतेरस पर मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा विधि

धनतेरस के दिन प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर या मंदिर की सफाई करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। पूजा स्थल पर चौकी बिछाकर मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीपक जलाएं और चंदन का तिलक लगाएं।

मिठाई, फल और अन्य पूजन सामग्री का भोग लगाएं। श्रद्धानुसार दान करें और फिर आरती करें। भगवान कुबेर के मंत्र “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का 108 बार जाप करें और धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें। यह पूजा धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

दीपदान की विधि

नरक चतुर्दशी के दिन घर के सबसे बड़े सदस्य को यमराज के नाम का एक बड़ा दीपक जलाना चाहिए। इस दीपक को पूरे घर में घुमाने के बाद घर से बाहर ले जाकर किसी सुनसान स्थान पर रख देना चाहिए।

इस प्रक्रिया के दौरान घर के बाकी सदस्यों को घर के अंदर रहना चाहिए और उन्हें उस दीपक को नहीं देखना चाहिए। यह दीपदान यमराज को समर्पित माना जाता है और माना जाता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक आस्था पर आधारित है। इसकी पूर्ण सत्यता या सटीकता का दावा नहीं किया जा सकता। विस्तृत जानकारी के लिए किसी योग्य विशेषज्ञ या विद्वान से परामर्श अवश्य लें।

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