Friday, September 12, 2025
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टी20 विश्वकप जीत में IIT बाबा का कमाल! बताया कैसे रोहित को दी थी मदद, लेकिन आगे क्या हुआ…

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु हर दिन पहुंच रहे हैं, लेकिन इस बार सबकी नजरें खींच रहे हैं IIT वाले बाबा। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें बाबा ने दावा किया है कि भारत ने 2024 का टी20 विश्वकप फाइनल उनकी वजह से जीता।

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान जहां लाखों श्रद्धालु हर दिन पहुंच रहे हैं, वहीं इन दिनों सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं IIT वाले बाबा। आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके बाबा का असली नाम अभय सिंह है। वे पहले सोशल मीडिया पर अपनी डिग्री को लेकर चर्चा में आए थे। इसके बाद उन्होंने खुद को विष्णु और ईश्वर बताने जैसे दावे कर सबको हैरान कर दिया।

अब बाबा एक और कारण से वायरल हो रहे हैं। उनका एक नया वीडियो इंटरनेट पर छाया हुआ है, जिसमें वे दावा कर रहे हैं कि भारत ने 2024 का टी20 विश्वकप उनकी वजह से जीता। बाबा का कहना है कि उन्होंने घर बैठे मैच में रणनीति बनाई और भारत को जीत दिलाई।

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान, IIT बाबा के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह ने एक बयान में कहा, “यहां बैठकर आपको सिग्नल से जुड़ना है और वो जो सिग्नल है वो लाइव आ रहा है। वैसे तो वो एक ही चीज है, एनर्जी एक ही रूप में आ रही है। फिर वही हवा में जाकर वेव फार्म में टावर को हिट कर रहा है। अब एनर्जी उस टावर तक कैसे पहुंची, कैमरा ने उस एनर्जी को एब्जॉर्ब किया। तुम सामने देख रहे हो, लेकिन बीच में इनफॉर्मेशन का मैनिपुलेशन (हेरफेर) हो रहा है। बीच-बीच में ये स्टेप्स हो रहे हैं। ये अलग तरह से कोड-डिकोड हो रहा है।”

उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे मजाक मान रहे हैं, तो कुछ इसे दिलचस्प और अनोखा कह रहे हैं। महाकुंभ में, अभय सिंह अपने गुरु महंत सोमेश्वर पुरी के साथ आए थे। हालांकि, उन्होंने अपने गुरु के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जिसके बाद उन्हें जूना अखाड़े के शिविर से बाहर कर दिया गया।

इसके बाद, उनके महाकुंभ से गायब होने की खबरें आईं, लेकिन मीडिया में आकर उन्होंने सफाई दी और कहा कि ज्यादा प्रसिद्धि के कारण वे मुसीबत में आ गए हैं। अभय सिंह ने बताया कि पहले वे आसानी से बाहर घूम सकते थे, चाय पी सकते थे, और किसी भी टेंट में जाकर आराम कर लेते थे। लेकिन अब, उनकी पहचान के कारण, उन्हें बाहर जाने से पहले सोचना पड़ता है। उनका कहना है कि उनकी सादगी और स्वतंत्रता अब बाधित हो गई है। पहले की तरह न तो वे सहजता से बाहर घूम पाते हैं और न ही सामान्य जीवन जीने का अनुभव कर पा रहे हैं। प्रसिद्धि के इस दबाव ने उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से असुविधाजनक स्थिति में डाल दिया है।

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