इस महाकुंभ में ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना, 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। संगम का पवित्र जल भी श्रद्धालु अपने साथ ले गए, जो बड़ी संख्या में भारत से बाहर भी भेजा गया।

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का भव्य समापन हो चुका है। आस्था और श्रद्धा के इस महापर्व में करोड़ों भक्तों ने पवित्र डुबकी लगाई। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचे। देशभर के भक्तों ने संगम में स्नान करने के बाद इसके पवित्र जल और मिट्टी को अपने साथ ले जाना शुभ माना। लेकिन यह दिव्य जल केवल
भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विदेशों तक भी पहुंचा। प्रयागराज से संगम का यह पवित्र जल अब दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच चुका है। जी हां, भारत के अलावा कुल 143 देशों तक संगम का जल भेजा गया। इसके साथ ही इन देशों में पवित्र अक्षयवट के पत्ते भी विशेष रूप से भेजे गए। सरकार ने खास पैकेज तैयार कर 143 देशों के विशिष्ट अतिथियों को यह पवित्र जल और अक्षयवट के पत्ते उपहारस्वरूप भेंट किए। इस तरह, देश की आध्यात्मिक धरोहर अब विश्वभर में अपना प्रभाव छोड़ रही है।
महाकुंभ से दिया गया विशेष उपहार
महाकुंभ में भाग लेने के लिए कई देशों के राजनयिक और विशिष्ट अतिथि प्रयागराज पहुंचे। उन्होंने संगम में पवित्र डुबकी लगाकर भारतीय संस्कृति और आस्था का अनुभव किया। उनकी इस आध्यात्मिक यात्रा को और खास बनाने के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने विशेष रूप से 200 डिब्बे तैयार करवाए। इन डिब्बों में अक्षयवट के पवित्र पत्ते और एक कलश में संगम का जल भरा गया था। 143 देशों से आए इन विशिष्ट मेहमानों को विदाई के समय यह खास उपहार दिया गया, जिसे तैयार करवाने का निर्देश सीडीओ ने दिया था।
घर-घर तक पहुँचा संगम जल
भारत के विभिन्न कोनों से श्रद्धालु महाकुंभ में स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे। संगम में डुबकी लगाने के साथ ही लोग अपने साथ इसका पवित्र जल भी लेकर गए। कुछ ने पहले से पैक किया हुआ जल लिया, तो कुछ ने खुद संगम से पानी भरकर अपने घरों तक पहुंचाया। इस तरह संगम का जल न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों में पहुंचा, बल्कि 143 देशों के इन विशेष मेहमानों के माध्यम से अब यह पवित्र जल विश्व के कोने-कोने में प्रवाहित हो चुका है।