विशेषज्ञों का मानना है कि युद्धविराम को लेकर अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच रूस यूक्रेन की अधिक से अधिक भूमि पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि बातचीत की टेबल पर उसे रणनीतिक बढ़त मिल सके। इसी रणनीति के तहत रूस ने पिछले तीन हफ्तों में यूक्रेन पर लगातार बड़े पैमाने पर हमले तेज कर दिए हैं।
1. अमेरिकी सीनेटरों ने रूस के संभावित ‘बड़े हमले’ को लेकर संकेत दिए 2. वायुसेना अड्डों पर हमलों के बाद जवाबी कार्रवाई का दबाव पुतिन पर बढ़ा 3. रूसी व्यापार पर लगाम के प्रयासों से रूस की आर्थिक चुनौतियाँ बढ़ेंगी 4. यूक्रेन की अगली सैन्य कार्रवाई पार कर सकती है रूस की ‘रेडलाइन’ |
रूस की ‘महाशक्ति’ की छवि पर संकट, यूक्रेन के पलटवार से बढ़ा परमाणु युद्ध का खतरा
रूस की महाशक्ति वाली छवि अब डगमगाने लगी है। रविवार को यूक्रेन द्वारा किए गए हमलों में रूस के पांच वायुसेना अड्डे निशाने पर आए, जिनमें बेलाया एयरबेस भी शामिल था। इस एयरबेस पर मौजूद परमाणु हमला करने में सक्षम 40 से अधिक बमवर्षक विमानों के नष्ट होने की सूचना है। यह हमला न सिर्फ सैन्य क्षति थी, बल्कि यह युद्ध को रूस की ‘रेडलाइन’ के बेहद करीब ले आया है।
सूत्रों के अनुसार, यूक्रेन अब रूस के एक प्रमुख नौसैनिक अड्डे को भी निशाना बना सकता है, जहां परमाणु पनडुब्बियों का बेस है। इन घटनाक्रमों ने यह आशंका गहरा दी है कि रूस, जवाबी कार्रवाई में परमाणु हथियारों का सहारा ले सकता है।
अमेरिकी सीनेटरों ने दी गंभीर हमले की चेतावनी
रविवार को अमेरिका के दो प्रमुख सीनेटरों — रिपब्लिकन लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेट रिचर्ड ब्लूमेंथाल — ने इस खतरे के संकेत दिए। अगले दिन पेरिस में उन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की, जिसमें इस बात पर सहमति बनी कि आने वाले दिनों में यूक्रेन में भीषण हमलों की आशंका है।
सीनेटर ग्राहम और ब्लूमेंथाल ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी मुलाकात की और बाद में एक प्रेस वार्ता में कहा कि राष्ट्रपति मैक्रों उनकी चिंताओं से 100% सहमत हैं।
रूस की रणनीति और उसकी साख को गहरा झटका
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के बढ़ते युद्धविराम दबाव के बीच रूस यूक्रेन की अधिक से अधिक जमीन पर कब्जा करना चाहता है, ताकि शांति वार्ता के समय उसकी सौदेबाजी की स्थिति मजबूत हो। इस मकसद से रूस ने बीते तीन हफ्तों में यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर हमले किए। लेकिन रविवार के जवाबी हमले ने उसकी रणनीति को गंभीर नुकसान पहुँचाया है।
परमाणु प्रतिक्रिया की आशंका गहराई
विश्लेषकों के अनुसार, अगर यूक्रेन ने ऐसे हमले दोहराए, तो रूस के लिए ‘बड़े जवाबी हमले’ से बचना मुश्किल होगा। इस ‘बड़े हमले’ में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल हो सकता है — और यह चिंता का सबसे बड़ा कारण बन चुका है।
सीनेटर ग्राहम ने कहा कि उन्हें मिली जानकारी के अनुसार पुतिन एक बड़े युद्ध की तैयारी में हैं। यह न केवल रूस बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
अर्थव्यवस्था पर अमेरिका की नई चालें
यूरोपीय संघ और ब्रिटेन द्वारा रूस पर हाल में लगाए गए नए प्रतिबंधों ने पहले ही पुतिन की स्थिति कमजोर की है। अब अमेरिका भी अगर इन प्रतिबंधों में शामिल होता है, तो रूस की मुश्किलें और बढ़ेंगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका रूस से पेट्रोलियम उत्पाद खरीदने वाले देशों — जैसे भारत और चीन — पर भी दबाव बढ़ाने की योजना बना रहा है। अमेरिकी संसद में एक विधेयक पेश किया जा चुका है, जिसमें ऐसे देशों पर 500% आयात शुल्क लगाने या सीधे प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। सीनेटर ग्राहम ने कहा कि यह उनके संसदीय करियर का सबसे कठोर विधेयक है।
सीनेटर ब्लूमेंथाल ने भी कहा कि यदि ये प्रतिबंध लागू होते हैं, तो रूसी अर्थव्यवस्था बुरी तरह सिकुड़ सकती है और वह वैश्विक प्रणाली से कटकर रह जाएगी।
भारत और चीन पर दबाव संभव
अमेरिका का मानना है कि रूस की ‘वार मशीन’ को तभी रोका जा सकता है, जब भारत और चीन जैसे देश उससे खरीदारी बंद करें। अगर अमेरिकी संसद यह विधेयक पारित करती है, तो भारत और चीन के लिए रूस से कोई भी उत्पाद खरीदना बेहद कठिन हो जाएगा — जिससे न केवल रूस की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा, बल्कि युद्ध को जारी रखने की उसकी क्षमता भी कमजोर होगी।